"एक टोकरी भर मिट्टी” हिंदी कहानी / Ek Tokri Bhar Mitti Hindi Story

Hindi Kahani Ek Tokari Bhar Mitti / माधव राव सप्रे की कहानी “एक टोकरी भर मिट्टी” । कहानी : एक टोकरी भर मिट्टी   "एक टोकरी भर मिट्टी" माधव राव सप्रे द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध हिंदी कहानी है, जो सामाजिक और आर्थिक असमानता को उजागर करती है। यह कहानी अमीरी और गरीबी के बीच के संघर्ष और मानवीय गरिमा की रक्षा के प्रति गरीबों की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। कहानी में गरीबी, आत्मसम्मान, और भावनात्मक जुड़ाव के विषयों को मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। कहानी का विस्तारपूर्वक वर्णन: पात्र परिचय: 1. विधवा: कहानी की मुख्य नायिका एक गरीब विधवा है, जो अपने पति और बेटे को खो चुकी है। उसकी एक मात्र संपत्ति उसकी झोंपड़ी है, जिसे वह किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहती। उसकी झोंपड़ी उसके जीवन की यादों का प्रतीक है और वह उसके लिए बहुत कीमती है। 2. ज़मींदार: कहानी का दूसरा मुख्य पात्र एक अमीर ज़मींदार है, जिसके पास बड़ी संपत्ति है। वह अपने महल की सीमा को बढ़ाने के लिए विधवा की झोंपड़ी को हटाना चाहता है, लेकिन विधवा से भावनात्मक जुड़ाव को समझने में असफल रहता है। कहानी का मुख्य कथानक: कहानी एक छो

अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Adhajal Gagari Chhalkat Jaye Meaning In Hindi


Adhajal Gagari Chhalkat Jaye Muhavre Ka Arth Aur Vakya Prayog / अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

 

अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Adhajal Gagari Chhalkat Jaye Meaning In Hindi
अधजल गगरी छलकत जाए 




मुहावरा- “अधजल गगरी छलकत जाए” ।


अर्थ- ज्ञान कम और दिखावा ज्यादा / बीना मतलब के अपनी बात रखना / जो है ही नही उसे दिखाने का प्रयास करना / बात में सच्चाई कम और दिखावा ज्यादा ।



Muhavara- Adhajal Gagari Chhalkat Jaye


(Arth/Meaning in Hindi- Gyan Kam Aur Dhikhawa Jyada / Bina Matlab Ke Apni Baat Rakhna / Jo Hai Hi Nahi Use Dikhane Ka Prayas Karna / Baat Me Sachhai Kam Aur Dikhawa Jayada.)





“अधजल गगरी छलकत जाए” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-



“अधजल गगरी छलकत जाए” यह एक हिंदी मुहावरा है, जिसका अर्थ ज्ञान कम और दिखावा ज्यादा करना होता है । या फिर यूँ कहे कि जो है ही नही उसका दिखावा करना भी होता है ।


इस मुहावारे का मतलब यह भी होता है, कि कोई ऐसा काम जिसमे कोई समर्थन नही हो, या फिर कोई काम जो किसी स्तिथि को बिना तैयारी या सुझाव को किया जा रहा है और उस कार्य में असमर्थता की संभावना हो ।


उदाहरण- 


बिना किसी सही तैयारी के मांडवी ने परीक्षा मे भाग लेने का निर्णय लिया, पर उसे सायद ये मालूम हो कि “अधजल गगरी छलकत जाए” ।

अर्थात कि मांडवी ने SSC की परीक्षा मे भाग 

लेना चाहती थी । पर मांडवी ने उस परीक्षा की तैयारी नही थी । फिर भी वो परीक्षा देना चाहती थी । मंडवी के पास इस परीक्षा में पास होने की बहुत ही कम जानकारी थी । लेकिन वो सबको ये दिखा रही थी कि उसे उस परीक्षा की पुरी जानकारी है । मांडवी को ज्ञान तो कम है पर वो उस ज्ञान का दिखावा ज्यादा कर रही थी । यही वजह है कि मांडवी ने परीक्षा की तैयारी ना होते हुए भी उस परीक्षा मे भाग लेने का निर्णय लिया और “अधजल गगरी छलकत जाए” मुहावरे को और बढ़ावा दिया ।



“अधजल गगरी छलकत जाए” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Adhajal Gagari Chhalkat Jaye Muhavare Ka Vakya Prayog.



‘अधजल गगरी छलकत जाए’ इस मुहावरे का अर्थ हम नीचे दिये हुए कुछ वाक्य प्रयोगो के माध्यम से समझ सकते हैं । जो कि इस प्रकार हैं -



वाक्य प्रयोग- 1.


इस बार के चुनाव में सरकार ने जानता को लुभाने के लिए नये-नये लुभावने स्कीम ला रही है । जानता के बीच में इन लुभावने स्कीमो की खूब चर्चा हो रही है । कुछ लोगो को ये वादे सही लग रहे थे पर कुछ लोगो को इन वादों मे सच्चाई कम और दिखावा ज्यादा लग रहा था । चुनाव समाप्त होते ही सरकार के द्वारा नये नीतियों को लागू करने का निर्णय लिया गया, पर इस निर्णय पर यह देखा जा रहा है कि इसमें “अधजल गगरी छलकत जाए” की संभावना ज्यादा है ।



वाक्य प्रयोग- 2.


शेखर हर मुद्दे पर अपनी राय रखता था । पर सबको पता था कि उसका राय “अधजल गगरी छलकत जाए” की तरह है ।

घर में जब भी किसी विषय पर चर्चा होती और राय ली जाती तो शेखर अपनी राय सबसे पहले रखता था । हालांकि किसी को भी शेखर के राय की जरूरत नही होती थी । फिर भी शेखर अपनी राय जरूर देता था । घर में सबको पता था कि शेखर के पास किसी भी विषय पर कम ज्ञान है पर वो दिखावा ऐसा करता है कि उसी के पास इसकी जानकारी है । शेखर की बातों में सच्चाई कम होती थी और दिखावा ज्यादा । इसी वजह से शेखर को घर में “अधजल गगरी छलकत जाए” के सामन देखा जाता था । 



वाक्य प्रयोग- 3.


रमेश ने एक नया व्यापार शुरु करने का निर्णय लिया । पर उस व्यापार में “अधजल गगरी छलकत जाए” का खतरा दिख रहा है ।

रमेश को उसके एक करीबी रिश्तेदार ने किसी व्यापार के बारे में बताया । रमेश को वो व्यापार बहोत अच्छा लगा । पर रमेश को उस व्यापार के बारे में जानकारी बहोत कम थी । क्योकि रमेश ने इस व्यापार के बारे में पहले से ही थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त किया था । रिश्तेदार के बार बार कहने पर रमेश ने व्यापार को करने का निर्णय ले लिया । रमेश को इस व्यापार में “अधजल गगरी छलकत जाए” का खतरा साफ दिखाई दे रहा था ।





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