"सावन हरे न भादों सूखे" मुहावरे का अर्थ और व्याख्या / Saavan Hare Na Bhado Sukhe Meaning In Hindi

  Sawan Hare Na Bhado Sukhe Muhavare Ka Arth Aur Vyakhya / सावन हरे ना भादों सूखे मुहावरे का अर्थ क्या होता होता है?

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kaan Par Joo Na Rengna Meaning In Hindi


Kaan Par Joo Na Rengna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का क्या अर्थ होता है ? 

 

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kaan Par Joo Na Rengna Meaning In Hindi
Kaan Par Zoo Na Rengna

 




मुहावरा- “कान पर जूं न रेंगना” ।


(Muhavara- Kaan Par Joo Na Rengna)



अर्थ- बेफिक्र रहना / लापरवाही करना / कोई असर न पड़ना / किसी के भी बातों पर ध्यान न देना / किसी भी तरह का कोई भी प्रभाव न पड़ना ।


(Arth/Meaning in Hindi- Befikra Rahna / Laparwahi Karna / Koi Asar Na Padna / Kisi Ke Bhi Baton Par Dhyan Na Dena / Kisi Bhi Tarah Ka Koi Bhi Prabhav Na Padna)






“कान पर जूं न रेंगना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-



कान पर जूं न रेंगना” यह हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाला एक महत्पूर्ण मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ बेफिक्र रहना, लापरवाही करना अथवा किसी के द्वारा कही गयी बातों पर ध्यान न देना होता है ।


इस मुहावरे का मतलब है कि किसी के सुनने की क्षमता या सुनने की आदत को ना बदलना या उसे ध्यान से नही लेना होता है । यह मुहावरा किसी व्यक्ति की बातों को सुनने की क्षमता को कमजोर बना देता है और ध्यान न देने का इरादा दिखाता है । 

यह मुहावरा किसी की बातों को सीधे रूप से ना लेना अथवा उन्हे अवगत नही करना होता है । यह मुहवरा व्यक्ति को एक प्रकार के अज्ञानता या अनजानपन  का सुझाव देता है । 



इस मुहावरे का अर्थ एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं - 


मदन ने अपने दोस्त राहुल को उसके भाई की सच्चाई बताई पर राहुल के “कान पर जूं तक नही रेंगा” । 

मदन और राहुल दोनो अच्छे दोस्त हैं । एक दिन मदन ने देखा कि राहुल का भाई दो चार लोगो के साथ मिलकर जुआ खेल रहा है और साथ मे नशा भी कर रहा है । इस बात को मदन ने जब राहुल को बताई तो उसने इन बातों पर ध्यान नही दिया, और बेफिक्र हो गया । फिर एक और दिन मदन ने राहुल के भाई को उसी हाल मे देखा तो उसने राहुल को बताया । पर पिछली बार की तरह इस बार भी राहुल पर मदन की बातों का कोई भी असर नही पड़ा । अर्थात कि मदन की बातों का राहुल पर कोई भी प्रभाव न पड़ना और उसका बेफिक्र रहना ही “कान पर जूं न रेंगना” कहलाता है ।




“कान पर जूं न रेंगना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Kaan Par Joo Na Rengna Muhavare Ka Vakya Prayog.



कान पर जूं न रेंगना” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिये गये कुछ वाक्य प्रयोगो के माध्यम से समझा जा सकता है । जो कि इस प्रकार से हैं -



वाक्य प्रयोग- 1.


कक्षा में अध्यापक बच्चों को समझा कर थक गये पर बच्चों के “कान पर जूं तक नही रेंगा” ।

स्कूल आते ही सारे बच्चे मैदान में खेलने के लिए निकल जाते हैं । जिसके कारण कुछ बच्चों को चोट भी लग जाती थी । बच्चों को चोट लगने से उनके माता-पिता स्कूल पर शिकायत करते थे कि आप लोग बच्चों को सम्भाल नही पाते हैं । अध्यापक सभी बच्चों को ये बार बार समझाते कि आप लोग बाहर मैदान में खेलने के लिए नही जाओ और ना ही कक्षा में भाग दौड़ करो । पर बच्चे कहा मानने वाले थे । बच्चे वही करते जो उनके अध्यापक करने से उन्हे मना करते थे । अध्यापक समझा-समझा कर थक गये कि बहार मत जाया करो खेलने परन्तु बच्चे बेफिक्र होकर उनकी बातों को अनसुना कर देते थे । अध्यापकों द्वारा कहे गये बातों अर्थात कि बच्चो को बहार न खेलने वाली बात का कोई भी असर नही पड़ता था । मतलब की अध्यापको की बातों का बच्चों पर असर न पड़ना ही “कान पर जूं न रेंगना” कहलाता है ।



वाक्य प्रयोग- 2.


राजू की माँ ने उससे कहा कि तुम्हे मैं कितना भी समझती हूं पर तुम्हारे “कान पर जूं नही रेंगता” है । तुम्हारा इस तरह से लापरवाह होना एक दिन तुम्हे मुशीबत में डाल देगा । राजू की माँ ने उसे समझाया कि अब तुम घूमना बंद कर दो और घर के कामों मे अपना हाथ बटाओ । अगर तुम घूमने के वजाए अपनी पढ़ाई पर ध्यान देेते तो आज मुझे तुम्हे इस तरह से समझना नही पड़ता । राजू को इतना समझाने के बाद भी उसके उपर अपनी माँ की बातों का कोई भी असर नही पड़ा । वह बेफिक्र होकर घूमता रहता है । राजू के माँ की बातों का उसके उपर कोइ असर न पड़ने को ही “कान पर जूं न रेंगना” कहते हैं ।



वाक्य प्रयोग- 3.


गाँव मे सरकार के द्वारा सफाई अभियान चलाया जा रहा था । और ये बताया जा रहा था कि कोई भी सड़क पर गन्दगी नही फैलायेगा । पर गांव वाले इन बातों को अनसुना करके हर रोज सड़क पर गंदगी फेक देते थे । उन्हे इन गंदगियो से होने वाली बीमारियों के बारे मे अंदाजा नही था । इन गंदगियो से कोई बीमारी ना फैले इसीलिए सरकार ये सफाई अभियान चला रही थी । पर सरकार के कर्मचारी भी समझा कर थक गये कि आप लोग गंदगी मत फैलाओ । पर इन सब बातों से बेफिक्र होकर और लापरवाहों के तरह लोग अपने आस पास सफाई नही रखते थे और गंदगी फैलाते थे । सरकार के सफाई अभियान वाली बातों का लोगो पर कोई भी प्रभाव न पड़ना ही “कान पर जूं न रेंगना” कहलाता है ।






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