“कचूमर निकलना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kachumar Nikalna Meaning In Hindi

Kachumar Nikalna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कचूमर निकलना मुहावरे का क्या अर्थ होता है? मुहावरा- “कचूमर निकलना”। (Muhavara- Kachumar Nikalna) अर्थ- खूब पीटना / किसी का बुरा हाल हो जाना या कर देना / अत्यधिक शारीरिक पीड़ा होना । (Arth/Meaning In Hindi- Khub Pitna / Kisi Ka Bura Hal Ho Jana Ya Kar Dena / Atyadhik Sharirik Pida Dena) “कचूमर निकलना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- अर्थ: ‘कचूमर निकलना’ एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जिसका अर्थ होता है – बहुत ज़्यादा पीटना, किसी को इतना कष्ट देना या मारना कि वह पूरी तरह टूट जाए, या किसी का बुरा हाल हो जाना। यह मुहावरा शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक रूप से बहुत अधिक थक जाने, पीड़ित होने या पीट दिए जाने के भाव को व्यक्त करता है। व्याख्या: हिंदी भाषा में मुहावरे न केवल भाषा को प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य को भी दर्शाते हैं। "कचूमर निकलना" एक ऐसा ही मुहावरा है, जो आम बोलचाल की भाषा में बड़े ही व्यंग्यात्मक और रोचक अंदाज़ में प्रयुक्त होता है। यह मुहावरा किसी व्यक्ति की हालत बहुत ही खराब हो ज...

नाच न जाने आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Naach Na Jaane Aangan Tedha Meaning In Hindi


Naach Na Jaane Aangan Tedha Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / नाच न जाने आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ क्या है?

 

नाच न जाने आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Naach Na Jaane Aangan Tedha Meaning In Hindi
Nach Na Jane Angan Tedha






मुहावरा- “नाच न जाने आंगन टेढ़ा”।


(Muhavara- “Naach Na Jaane Aangan Tedha”)



अर्थ- “किसी कार्य को करने में असमर्थ होने पर दूसरे को दोष देना” । “कार्य नही आने पर बहाना बनाना” । “स्वयं कार्य को न कर पाने की स्तिथि में उस कार्य को ही तुच्छ या अयोग्य मान लेना”।


(Arth/Meaning in Hindi- “Kisi Karya Ko Karne Me Asamarth Hone Par Dusre Ko Dosh Dena” । “Karya Nahi Ane Par Bahana Banana” । “Swayam Karya Ko Na Kar Pane Ki Stithi Me Us Karya Ko Hi Tuchchh Ya Ayogya Man Lena)






“नाच न जाने आंगन टेढ़ा” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


“नाच न जाने आंगन टेढ़ा” मुहावरे का अर्थ है कि जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए उत्सुक होता है और जब वह उस कार्य को नही कर पाता है तो उस कार्य में ही कमी निकालने लगता है। 

अर्थात कि जब व्यक्ति कार्य को नही कर पाता है तो वह बहाना बनाने लगता है। और कार्य को ही तुच्छ अथवा अयोग्य समझने लगता है।


दूसरे तरीके से कहे तो इस मुहावरे का अर्थ किसी क्षेत्र में अनभिज्ञता दिखना होता है। यह उस स्तिथि को दिखता है जहां कोई व्यक्ति या समूह उसकी जरूरतों या चुनौतियों को समझने में असमर्थ होता है। 



इस मुहावरे को एक उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं-


रचना सबसे कहती फिरती कि वह बहुत अच्छा नाचती(नृत्य करना) है। उसके जैसा कोई नाच ही नही सकता। 

रचना के मामा के लड़के की सादी का समय था। सबने रचना से कहा हम सब ने सुना है कि तुम बहोत अच्छा नाचती हो। चलो थोड़ा हमें भी तो अपना नाच दिखाओ।

फिर क्या था रचना ने जैसे ही नाचना शुरु किया उसके कुछ ही पल बाद ही वो रुक गयी। सबने पूछा की क्या हुआ? रचना ने बहाना बनाया की मेरे कमर में मोच आगयी है इसलिए मै अब नाच नही सकती हू और ये गाना भी अच्छा नही था।

वहां पर मौजूद सब लोगो को समझ में आ गया कि ये बहाना बना रही है। इसको आता तो कुछ नही और अपनी कमी दूसरे में निकाल रही है। 

रचना का यह हाल देख कर ये कहना गलत नही होगा की “नाच न जाने आंगन टेढ़ा” मुहावरा उसके लिये सटीक बैठता है।


इस मुहावरे का अर्थ सिर्फ नाचने ही सम्बन्धित नही है अपितु अलग अलग कार्यो के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।




“नाच न जाने आंगन टेढ़ा” मुहावरे का वाक्य प्रयोग । “Naach Na Jane Angan Tedha” Muhavare Ka Vakya Prayog.



आइये अब हम इस मुहावरे का मतलब नीचे दिये गये कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझते हैं, जो की इस प्रकर से हैं -



वाक्य प्रयोग- 1.


मनु बहोत ही आलसी लड़का है। उसके लिए हर एक कार्य नाच न जाने आंगन टेढ़ा जैसा ही है।


एक दिन मनु के पिता ने बोला की मनु जाओ वर्मा जी के वहां से गेहूं पिसवा लाओ घर में आंटा समाप्त हो गया है। 

मनु गेहूं पिसवाने नही जाना चाहता था। इसलिए उसने बहना बनाया कि वर्मा जी अब अच्छा गेहूं नही पीसते है। मेरे दोस्त भी कह रहे थे कि वो भी अब उनके वहां गेहूं नही पिसवाते है।


मनु के पिता जी को समझ में आ गया कि ये गेहूं पिसवाने नही जाना चाहता है। इसलिए बहाना बना रहा है। इसके लिए तो हर काम नाच न जाने आंगन टेढ़ा जैसा ही है।



वाक्य प्रयोग- 2.


मंच पर गायक ने बोला कि म्यूजिक वाले का साउंड अच्छा नही है। इसलिए मै नही गा पाऊंगा। इससे अच्छा तो मेरे गांव वाले का साउंड है। अगर मुझसे गीत गवाना है तो दूसरे साउंड का व्यवस्था कीजिये।

सब समझ गये की इसको तो गाने आता नही है और साउंड वाले में अपनी गलती निकाल रहा है। इसकी हरकत देख कर लग रहा है कि गायकी इसके लिए नाच न जाने आंगन टेढ़ा जैसा है। इन जैसो का तो यही काम होता है स्वयं कार्य करने न आये तो अपनी गलती दूसरे में निकालने लगते हैं ।



वाक्य प्रयोग- 3.


मधु जब सादी करके अपने ससुराल गयी तो उसकी बहोत प्रसंसा हो रही थी। मधु देखने में तो बहोत ही सुन्दर थी। पर उसे खाना बनाने नही आता था। खास करके रोटी।

मधु के पति को सब पता था कि मधु शहर में रही है, इसलिए उसे ये सब नही आता है। पर मधु के सास को ये सब नही पता था।


एक दिन मधु की सास ने मधु से बोला की बेटी जरा आज तुम आंटा सान देना तब तक मै सब्ज़ी काट लेती हूं । मधु को आंटा गुँथने तो आता नही था। इसलिए उसने बहना बनाया कि मा जी मेरे हाथ में मोच आ गयी है। आज मै ये काम नही कर पाउंगी। 


जैसे ही मधु ने इतना बोला, उसकी सास तुरंत समझ गयी कि ये बहाना बना रही है। इसको खाना बनाने नही आता है तो ये अब इस तरह से बहाना बना रही है। इसके लिए तो एक ही बात बोलूंगी कि नाच न जाने आंगन टेढ़ा।



अपने सुझाव हमसे जरूर साझा करें।

धन्यवाद! 🙏


आपका दिन शुभ हो। 


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