साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Saanp Bhi Mar Jaye Aur Lathi Bhi Na Tute Meaning In Hindi
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Saanp Bhi Mar Jaye Aur Lathi Bhi Na Tute Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे मुहावरे का क्या अर्थ होता है ?
Sanp bhi mar jaye aur lathi bhi na tute |
मुहावरा- “साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे” ।
(Muhavara- Saanp Bhi Mar Jaye Aur Lathi Bhi Na Tute)
अर्थ- बिना बल का प्रयोग किये काम हो जाना / काम भी हो जाए और किसी प्रकार का नुकसान भी ना हो / अपना कार्य कर लेना और किसी को खबर भी ना लगने देना ।
(Arth/Meaning in Hindi- Bina Bal Ka Prayog Kiye Kam Ho Jana / Kam Bhi Ho Jaye Aur Kisi Prakar Ka Nuksaan Bhi Na Hona / Apna Karya Kar Lena Aur Kisi Ko Khabar Bhi Na Lagne Dena)
“साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे” यह हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाला एक मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ यह होता है कि बिना बल का ईश्तेमाल किए अपना कार्य कर लेना अथवा अगर हम कोई कार्य कर रहें हैं तो हमारा काम भी हो जाए और किसी प्रकार का नुकसान भी ना हो ।
इस मुहावरे का मतलब किसी समस्या या स्तिथि में एक ही समाधान या निर्णय से दोनो ही चीजें सुलझ सकती हैं । इस मुहावरे का उपयोग विशेषकर असंबंधित या विरोधी चीजों के बींच में समझौते की बात करने में होता है । इसका उपयोग कभी-कभी दुविधा या संघर्ष के दौरान सहमति या समाधान की दिशा में होता है ।
इस मुहावरे का अर्थ एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं-
सरकार ने सीमा विवाद के समझौते में ऐसा सामंजस्यपूर्ण समाधान किया कि “साँप भी मर गया और लाठी भी ना टूटी” ।
पड़ोसी मुल्क से सीमा विवाद पर कई वर्षों से बैठके चल रही थी । पर कोई भी समाधान नही निकल रहा था । दोनो देशों के तरफ से तमाम दलीलें दी जा रही थी कि ये हिस्सा मेरा है यहां से आप पीछे हट जाओ । पर कोई भी पीछे हटने को तैयार नही हो रहा था । ऐसे ही बैठकों का सिलसिला चलता रहा । पर इस बार के बैठक में सरकार ने कुछ नये कदम उठाये थे जिससे कि सीमा विवाद का मसला भी खत्म हो गया और किसी को कोई दिक्क़त भी नही हुयी । अर्थात कि इस बार की बैठक में बिना किसी बल के प्रयोग से ही सीमा विवाद समझौता हो गया । अतः यहां पर ये कहावत एकदम सटीक बैठती है कि “साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे” ।
“साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Saanp Bhi Mar Jaye Aur Lathi Bhi Na Tute Muhavare Ka Vakya Prayog.
“साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिए गये कुछ वाक्य प्रयोगो के माध्यम समझ सकते हैं । जो कि इस प्रकार से है -
वाक्य प्रयोग- 1.
पुलिस ने अपनी सूझ बुझ से डाकुओं को पकड़ लिया और किसी को कोई नुकसान भी नही हुआ । अर्थात कि “साँप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी” ।
एक बहुमंज़िला इमारत को कुछ डाकुओं ने अपने कब्ज़े में ले लिया था । जिसकी ख़बर मिलते ही पुलिस तुरंत ही उस स्थान पर पहुंच गयी । यहां पर मामला बहुत गंभीर था क्योंकि अगर एक भी गोली चलती तो भगदड़ मच जाती और किसी को भी लोगी लग सकती थी । इसीलिए पुलिस वालों ने अपनी सूझ बुझ का इस्तेमाल किया और उन डाकुओं को सरेंडर करने की सलाह दी । पुलिस ने उन डाकुओं को समझाया कि अगर तुम लोग सरेंडर कर दोगे तो हम तुम्हारी सजा कम करवा देंगे । और तुम लोगो को एक अच्छी और नई ज़िंदगी ज़ीने में हम तुम्हारी मदत करेंगे । पुलिस की बात सुनकर डाकुओं ने अपना सरेंडर कर दिया । इस प्रकार पुलिस ने बीना बल का प्रयोग किये उन डाकुओं को पकड़ कर अपना काम कर लिया । और किसी को कोई नुकसान भी नही पहुंचा । अर्थात कि साँप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी ।
वाक्य प्रयोग- 2.
रमेश ने अपने दुश्मन सतीश से ऐसा बदला लिया कि “साँप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी” अर्थात कि रमेश ने अपना बदला भी ले लिया और उसके दुश्मन सतीश को ये पता ही नही चला कि ये काम रमेश ने किया है ।
रमेश का एक सहकर्मी था जिसका नाम सतीश था । सतीश रमेश का सहकर्मी कम पर दुश्मन ज्यादा था । रमेश को सतीश ने एक आरोप में फ़सा कर उसे नौकरी से निकलवा दिया । रमेश अपना बदला लेना चाहता था । पर वह एक सही समय के इंतज़ार में था । रमेश ने सतीश के एक दोस्त को कुछ पैसे देकर उससे सतीश से सच्चाई उगलवाने की बात कही और वह मान गया । एक दिन सतीश और उसका दोस्त पार्टी में मदिरा का सेवन कर रहे थे । तभी सतीश के दोस्त ने उससे रमेश को नौकरी से निकलने की बात पूछी । मदिरा के नशे में सतीश ने सब कुछ बक दिया कि कैसे उसने रमेश को फ़सा कर उसे नौकरी से निकलवाया था । ये सारी बातें सतीश के दोस्त ने अपने मोबाइल मे रिकॉर्ड कर लिया और रमेश को दे दिया । फिर रमेश ने वो रिकॉडिंग अपने कम्पनी के मालिक को सुनाई । फिर इसके बाद कम्पनी के मालिक ने सतीश को नौकरी से निकल दिया और रमेश को वापस नौकरी पर रख लिया । इस प्रकार “साँप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी” । अर्थात कि रमेश ने अपने दुश्मन सतीश से अपना बदला भी ले लिया और उसको पता भी नही चला कि ये सब रमेश ने किया है ।
वाक्य प्रयोग- 3.
राजा ने रात के समय में ग़रीबो के झोपड़ियों में कुछ धन रख आये और किसी को पता भी नही चला कि ये धन किसने रखा है । इस प्रकार से राजा ने अपना काम कर लिया और किसी को पता भी नही चला ।
राजा को जब ये सूचना मिली की उनके राज्य में कुछ गरीब हैं जो झोपड़ियों में रहते हैं उनके पास खाने के लिए भी अब पैसे नही बचे हैं । और वो भूख प्यास से तड़प रहे हैं । तब राजा ने ये निश्चय किया कि मैं खुद उनकी मदत करूंगा वो भी किसी को पता चले बिना । फिर एक रात राजा ने अपना भेष बदलकर उस गरीब बस्तियों मे पहुंच गये । और चुपके से थोड़ा-थोड़ा धन सभी झोपड़ियों मे रखते गये । अर्थात कि “साँप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी” । मतलब कि राजा मे अपना कार्य कर लिया पर किसी को भी ये पता नही चला ये कार्य खुद राजा ने ही किये हैं ।
हमें उम्मीद है कि आपको इस मुहावरे का अर्थ पता चल गया होगा । आप अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।
आपका दिन शुभ हो ! 🙂
धन्यवाद ! 🙏
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