"सावन हरे न भादों सूखे" मुहावरे का अर्थ और व्याख्या / Saavan Hare Na Bhado Sukhe Meaning In Hindi

  Sawan Hare Na Bhado Sukhe Muhavare Ka Arth Aur Vyakhya / सावन हरे ना भादों सूखे मुहावरे का अर्थ क्या होता होता है?

का बरसा जब कृषि सुखाने मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Ka Varsha Jab Krishi Sukhane Meaning In Hindi

 

Ka Varsha Jab Krishi Sukhane Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / का वर्षा बरसा जब कृषि सुखाने मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

 

का बरसा जब कृषि सुखाने मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Ka Varsha Jab Krishi Sukhane Meaning In Hindi
Ka Barsha Jab Krishi Sukhane 

 



मुहावरा- “का बरसा जब कृषि सुखाने” ।


( Muhavara- Ka Varsha Jab Krishi Sukhane )



अर्थ- समय निकल जाने पर सहायता करने से कोई लाभ नही / समय बीतने पर मदद करना व्यर्थ है ।


( Arth/Meaning in Hindi- Samay Nikal Jane Par Sahayata Karne Se Koi Labh Nhi Hota Hai / Samay Bitane Par Madad Karna Vyarth Hai )





“का बरसा जब कृषि सुखाने” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- 


का बरसा जब कृषि सुखाने” यह हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाला एक लोकोक्ति है । इस लोकोक्ति का अर्थ यह होता है कि समय निकल जाने के बाद किसी की सहायता करने से कोई लाभ नही होता है । 


समय निकल जाने के बाद सहायता करना व्यर्थ है । मतलब की किसी की जरूरत या मदद की बात बाद मे करना उचित नही है, क्योंकि अब वह पूर्ण हो चुका है या अब मदद करने की आवश्यकता नही है । और यदि फिर भी मदद करते हैं तो उसका कोई लाभ नही है । 



इस मुहावरे का अर्थ उदाहरण के माध्यम से समझते हैं -


शेखर ने कहा कि देखो, तुम्हारे पिता जी की हालत बहुत गंभीर है, उन्हे तुरंत अस्पताल ले जाओ, तो वो ठीक हो सकते हैं, अन्यथा का बरसा जब कृषि सुखाने ।


उपरोक्त उदाहरण में ये बताया गया है कि शेखर नाम का एक व्यक्ति किसी को समझा रहा है कि तुम्हारे पिता की हालत बहुत ही गंभीर है । इन्हे तुरंत किसी अच्छे अस्पताल में ले जा कर इनका इलाज़ करवाओ तो ये ठीक हो सकते हैं । अन्यथा अगर तुमने इन्हे अस्पताल ले जाने में देरी करोगे तो इसका कोई फायदा नही होगा । क्योंकि समय के बीत जाने के बाद किसी का इलाज़ करवाना व्यर्थ ही होता है ।



“का बरसा जब कृषि सुखाने” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Ka Barsha Jab Krishi Sukhane Muhavare Ka Vakya Prayog.


का बरसा जब कृषि सुखाने” इस लोकोक्ति का अर्थ नीचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं । जो कि इस प्रकार से हैं -



वाक्य प्रयोग - 1.


राघव ने अपने दोस्त को देख कर बोला कि तुमने “समय निकल जाने के बाद सहायता करने से कोई लाभ नही होता है” का सही उदाहरण दिया है ।


राघव से उसके एक करीबी रिश्तेदार ने कुछ पैसों की मदद मांगी थी । पर उस समय राघव के पास उतने पैसे नही थे जितना उससे मांगा गया था । कुछ दिनों के बाद राघव के बाद जब पैसे हुए तो वो उन्हे लेकर अपने करीबी के पास गया । वहां जाने के बाद राघव को पता चला की उसके पैसों की अब कोई जरूरत नही है । क्योंकि उसके करीबी रिश्तेदार की जरूरत किसी दूसरे ने पुरी कर दी थी । यही कारण है कि राघव ने जब अपने दोस्त को देखा तो उसको अपने दोस्त की कही हुयी बात याद आ गयी कि “का वर्षा जब कृषि सुखाने” अर्थात समय निकल जाने के बाद किसी की सहायता करने से कोई लाभ नही होता है । 



वाक्य प्रयोग- 2.


प्रबंधक ने अपने कर्मचारियों को यह बात सिखाई है कि हमें समय पर काम करना चाहिए क्योंकि “का वर्षा जब कृषि सुखाने” मतलब समय बीत जाने के बाद काम करने से कोई लाभ नही होता है ।

प्रबंधक अपने कर्मचारियों को बता रहा है कि हमें अपने काम को समय पर पुरा कर लेना चाहिए । क्योंकि अगर हम अपने काम को समय से पुरा नही करेंगे तो वो काम अधूरा रह जायेगा । या फिर बाद में उस काम की जरूरत ही नही रह जाएगी । इसलिए काम को समय रहते पुरा कर लेना चाहिए क्योंकि जब समय निकल जायेगा तो उस काम को करना व्यर्थ होगा । इसलिए लिए ये कहा गया है कि “का बरसा जब कृषि सुखाने” ।



वाक्य प्रयोग- 3.


समुदाय में रोहन ने कहा कि हमें क्यों अब तक ये नही बताया गया कि उसे मदद की आवश्यकता थी । अब उसकी मदद करने से क्या फायदा अब उसे किसी की मदत की जरूरत नही है । 

रोहन को अब जाके पता चला है कि उसके एक साथी को कुछ दिनों पहले मदद की बहुत जरूरत थी । पर समुदाय के किसी भी व्यक्ति ने उसकी मदद नही किया । और पता चलने के बाद जब रोहन उसकी मदद करना चाहा तो उसे पता चला कि उसे अब किसी की भी मदद की जरूरत नही है । इस बात से रोहन को बहुत दुख हुआ । इसलिए रोहन ने अपने समुदाय से नाराज़गी दिखाते हुए ये कहा कि हमें क्यों नही बताया गया कि उसे मदद की जरूरत थी । अब समय बीत जाने के बाद मै उसकी मदद करने गया पर उसका कोई फायदा । क्योंकि उसे अब किसी के मदद की जरूरत नही रही । रोहन ने आगे कहा कि ये बात सच कही गयी है कि “का बरसा जब कृषि सुखाने” ।



वाक्य प्रयोग- 4.


मोहल्ले में ये कहते हुए सुना कि “का बरसा जब कृषि सुखाने” अर्थात कि समय के बीत जाने के बाद मदद करने का कोई लाभ प्राप्त नही होता है । 

बेचारा जब तक ज़िंदा था तब तक किसी ने इसकी भूख नही मिटाई । कभी इसको पसंद का खाना नही मिला और आज जब इसकी मृत्यु हो चुकी है तो इसके लिए ताज़े फल रखे जा रहे है । इन फलो का अब इसको क्या जरूरत है । इसलिए हमें समय रहते हुए वो सब कुछ कर लेना चाहिए जो हम करना चाहते हैं । बाद में समय के निकल जाने के बाद हम कुछ नही कर पाएंगे । हमें सिर्फ पछतावा ही करना पड़ेगा ।



वाक्य प्रयोग- 5.


रमेश के भाई की तबियत अचानक खराब हो गयी । उसे तुरंत ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाने की जरूरत पड़ गयी । रमेश के पास कोई साधन नही था । इसलिए उसने अपने पड़ोस के कई लोगों से साधन की सहायता मांगी, पर किसी ने उसकी मदद नही किया । फिर रमेश अपने भाई को कंधे पर ही रख कर स्वास्थ्य केंद्र ले गया । सुबह को किसी ने रमेश को अपना साधन देकर की मदद करनी चाही, पर तब उस मदद की कोई जरूरत नही रही । जब जरूरत थी तब किसी ने मदद नही किया और अब समय निकल जाने के बाद लोगो के मदद करने से कोई लाभ नही है । इसीलिए कहा गया है कि “का बरसा जब कृषि सुखाने” अर्थात समय के निकल जाने पर सहायता करने से कोई लाभ नही होता है ।


दोस्तों, हमें उम्मीद है कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।



आपका दिन शुभ हो ! 🙂



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