"सावन हरे न भादों सूखे" मुहावरे का अर्थ और व्याख्या / Saavan Hare Na Bhado Sukhe Meaning In Hindi

  Sawan Hare Na Bhado Sukhe Muhavare Ka Arth Aur Vyakhya / सावन हरे ना भादों सूखे मुहावरे का अर्थ क्या होता होता है?

कान का कच्चा होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kan Ka Kaccha Hona Meaning In Hindi


Kan Ka Kaccha Hona Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कान का कच्चा होना मुहावरे का अर्थ क्या होता है ? 

 

कान का कच्चा होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kan Ka Kaccha Hona Meaning In Hindi
Kan Ka Kachcha Hona






मुहावरा-  “कान का कच्चा होना” ।


(Muhavara- Kan Ka Kaccha Hona)


अर्थ- बिना सोचे समझे किसी की बातों पर विश्वास कर लेना / किसी के बहकावे में आ जाना  / सुनी सुनाई बात पर भरोषा करना / सबकी बात मान लेना


(Arth/Meaning in Hindi- Bina Soche Samjhe Kisi Ki baaton Par Vishwas Kar Lena / Kisi Ke Bahkave Me Aa Jana / Suni Sunai Bat Par Bharosa Karna / Sabki Bat Man Lena)




“कान का कच्चा होना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


कान का कच्चा होना” यह हिंदी भाषा का एक मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ बिना सोचे समझे किसी की बातों पर विश्वाश कर लेना या किसी के बहकावे में आ जाना होता है । अथवा सुनी सुनाई बातों पर भरोषा कर लेना या फिर हर किसी की बात मान लेना भी होता है ।


अर्थात कि अगर कोई भी व्यक्ति ऐसा है जो सबकी बातों को बिना विश्वाश किए ही मान लेता है, तो हम ऐसे व्यक्तियों को कान का कच्चा होना मुहावरे से सम्बोधित करते है । 



इस मुहावरे को एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं -


देवराज इंद्र कुछ विषयों में कान के कच्चे होना जैसे थे । वे हर किसी की बातों को बिना परखे ही सच मान लेते थे । नारद जी जब भी देवराज इंद्र से कहते कि पृथ्वी पर एक व्यक्ति कठोर तप कर रहा है । उसी के तबोबल से आपका सिंघासन डगमगा रहा है । कहीं वो आपके इस इंद्रलोक को प्राप्त करने के लिए ये तप तो नही ना कर रहा है । इतना सुनते ही देवराज इंद्र इस बात को बिना सोचे समझे सच मान लेते थे कि सच मे वह व्यक्ति मेरे सिंघासन को प्राप्त करना चाहता है, इसीलिए तो इतना कठोर तप कर रहा है, जिसकी वजह से मेरा सिंघासन हिल रहा है । फिर देवराज इंद्र उस व्यक्ति के तब को भंग करने के लिए तमाम प्रकार के प्रयत्न करने लगते थे । 

इस उदाहरण से यही प्रतित होता है कि देवराज इंद्र कान के कच्चे थे, इसीलिए वो बिना सोचे समझे नारद जी की बातों पर विश्वास कर लेते थे । 



“कान का कच्चा होना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Kan Ka Kaccha Hona Muhavare Ka Vakya Prayog.



कान का कच्चा होना” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिए हुए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं । जो कि इस प्रकार से हैं -



वाक्य प्रयोग- 1.


दीपक से एक व्यक्ति ने कहा की तुम्हारे घर पर पुलिस आयी हुई है । दीपक इतना कान का कच्चा था कि बिना सोचे समझे उस व्यक्ति की बातों को सच मान लिया । और अपना दुकान बंद कर के तुरंत घर चला गया । दीपक जब घर पहुचा तो वहां सब कुछ नॉर्मल था । घर वालों ने दीपक के इस प्रकार घर आने का कारण पूछा तो उसने सारी बात बताई । घर वालों ने दीपक से कहा कि तुम इतने कान के कच्चे हो कि किसी भी अनजान व्यक्ति की बातों को बिना सोचे समझे सही मान लोगे । तुम्हे इतना तो सोचना चाहिए कि आखिर हमारे घर पुलिस क्यों आएगी । अगर कुछ ऐसा होता तो हम लोग तुम्हे फोन करके जरूर बताते । अगर तुम इसी तरह से कान के कच्चे बने रहोगे तो तुम्हे कोई भी अपनी बातों से बहका देगा । दीपक ने ये माना कि सच में मै कान का कच्चा हु, मैने बिना सोचे समझे उस अनजान व्यक्ति की बातों को सच मान लिया और तुरंत घर आ गया ।



वाक्य प्रयोग- 2.


गुरु जी ने हमें समझा रहे थे कि हम सब को कान का कच्चा नही होना चाहिए । अगर हम कान के कच्चे हुए तो एक दिन हम किसी बड़ी मुशीबत में भी फ़स सकते हैं । किसी भी व्यक्ति की बातों पर हमें बिना सोचे समझे विश्वास नही करना चाहिए । अगर हम कान के कच्चे हुए तो कोई भी हमें बहका कर किसी उलटे सीधे काम में फ़सा देगा । इसलिए हमें किसी की बातों में नही आना चाहिए । तभी एक बच्चा खड़े होकर बोलने लगा कि गुरु जी मेरी दादी कान की कच्ची हैं । मेरी दादी किसी की भी बातों पर बिना सोचे समझे विश्वास कर लेती हैं । एक दिन किसी ने मेरी दादी से कहा की तुम्हारे पोते को विजय के लड़के ने मारा है । फिर दादी बिना मुझसे पूछे कि ये बात सच है या झूठ उस व्यक्ति की बातों पर विश्वास करके विजय जी के घर जाकर शोर करने लगी । 

अर्थात कि हमें किसी की भी बातों को बिना सोचे समझे नही मानना चाहिए । पर लोगों का इस प्रकार सुनी सुनाई बातों को मान लेना ही कान का कच्चा होना कहलाता है ।



वाक्य प्रयोग- 3.


मोहन किसी की भी बातों पर बिश्वास कर लेता है, लगता है कि वो कान का कच्चा है ।


मोहन एक मजदूर है । वह मजदूरी कर के पैसे कमाता और उन पैसों से अपना घर का खर्चा चलाता है । मोहन को अपने मजदूरी के पैसों से बहुत लगाव है । जब उसे पता चलता कि पैसे मिल रहें है तो वो दौड़ कर अपना मजदूरी का पैसा लेने पहुँच जाता है । इसी बात का फायदा उठा कर कुछ लोग उसका मज़ा लेते थे । हर दो चार दिन में कोई मोहन से कहता कि मोहन जाओ अपना मजदूरी का पैसा ले लो । मोहन बिना सोचे समझे उनकी बातों पर विश्वास कर के मालिक के पास अपना मजदूरी लेने पहुंच जाता है । मालिक मोहन को समझता कि तुम इतने कान के कच्चे मत बनो कि तुमसे कोई कुछ भी कहे तो उसे बिना सोचे समझे सच मान लो । देखो मोहन जो कान के कच्चे होते हैं उनका हर कोई अपने मतलब के लिए इस्तेमाल कर सकता है । अर्थात मोहन का हर किसी की बातों को बिना सोचे समझे मान लेने को ही कान का कच्चा होना कहते हैं ।


दोस्तों, हम उम्मीद करते हैं की आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स करें ।



आपका दिन शुभ हो ! 😊



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