खून का प्यासा होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Khoon Ka Pyasa Hona Meaning In Hindi
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Khun Ka Pyasa Hona Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / खून का प्यासा होना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?
मुहावरा- “खून का प्यासा होना” ।
( Muhavara- Khoon Ka Pyasa Hona )
अर्थ- जान का दुश्मन होना / एक दूसरे को न देखना / गहरी दुश्मनी होना / कटटर शत्रु होना ।
( Arth/Meaning in Hindi- Jaan Ka Dushman Hona / Ek Dusare Ko Na Dekhna / Gahari Dushmani Hona / Kattar Shatru Hona )
“खून का प्यासा होना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
“खून का प्यासा होना” यह हिंदी भाषा में उपयोग होने वाला एक मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ किसी व्यक्ति का जान का दुश्मन होना या किसी दो व्यक्तियों में गहरी दुश्मनी होना अथवा व्यक्ति का एक दूसरे को न देखना होता है ।
इस मुहावरे का अर्थ अगर दूसरे शब्दों में समझें तो यह मुहावरा व्यक्ति की अत्यधिक रोमांचनात्मक या उत्साहजनक स्थिति को दर्शाता है, जब कोई किसी चीज के लिए बहुत बड़े उत्साह या आत्मसमर्पण के साथ तैयार होता है ।
इस मुहावरे का अर्थ है कि व्यक्ति किसी कार्य, मिशन, या उद्देश्य को पुरा करने के लिए बहुत उत्सुक और समर्पित है, जैसे कि वह खुन की प्यास से तैयार होता है ।
जैसे-
उस सैनिक ने देश की सेवा में अपना जीवन देने का निर्णय किया, कहते हैं, “मै खून का प्यासा हूँ और अपने मुल्क के लिए हर प्रकार की कठिनाई को सहूंगा ।”
“खून का प्यासा होना” इस मुहावरे का अर्थ एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं -
करन और दीपक दोनों कभी अच्छे दोस्त हुआ करते थे, लेकिन अब दोनों एक दूसरे को देखना भी पसंद नही करते हैं । अब ये दोनो इतने कटटर शत्रु हो गये हैं कि एक दूसरे का नाम सुनते ही क्रोध में आ जाते हैं । लोग कहते हैं कि ना जाने किसकी नज़र लग गयी इन दोनों की दोस्ती को, जो आज एक दूसरे को देखना भी पसंद नही करते हैं । मतलब कि करन और दीपक का एक दूसरे को न देखना ही या दोनो का कटटर शत्रु होना ही “खून का प्यासा होना” कहलाता है ।
“खून का प्यासा होना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Khoon Ka Pyasa Hona Muhavare Ka Vakya Prayog.
“खून का प्यासा होना” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं । जो कि इस प्रकार से हैं -
वाक्य प्रयोग- 1.
गौरव ने अपने राष्ट्र के लिए युद्ध लड़ने का निर्णय किया है, वह कहता है, “खून का प्यासा होना मेरी पहचान है ।”
गौरव अपने राष्ट्र के लिए वायुसेना में शामिल होकर अपने राष्ट्र के दुश्मनों के खिलाफ़ युद्ध लड़ना चाहता है । गौरव अपने मुल्क के दुश्मनों का जान का दुश्मन है । गौरव अपने राष्ट्र के दुश्मनों को देखते ही उन पर अपना क्रोध व्यक्त करने लगता है । यही कारण है कि गौरव सेना में शामिल होकर अपने राष्ट्र के लिए युद्ध लड़ना चाहत है । क्योंकि गौरव अपने राष्ट्र के दुश्मनों का खून का प्यासा है ।
वाक्य प्रयोग- 2.
हमारे मोहल्ले के लोग दूसरे मोहल्ले के लड़कों के खून के प्यासे हो गये हैं ।
हमारे गाँव में दो मोहल्ले थे । दोनो मोहल्ले एक दूसरे से मिलजुल कर रहते थे । किसी भी वाद-विवाद को दोनों मोहल्ले वाले मिलकर सुलझा लेते थे । पर कुछ दिनों से हमारे मोहल्ले के लोग दूसरे मोहल्ले के लड़को को देखना तक पसंद नही करते हैं । क्योंकि उस मोहल्ले के कुछ लड़को ने हमारे मोहल्ले की एक लड़की को कुछ अपशब्द कह दिए थे । जिसके कारण हमारे मोहल्ले के लोग उनके जान के दुश्मन बन गये हैं । मतलब की जान का दुश्मन बनना ही खून का प्यासा होना कहलाता है ।
वाक्य प्रयोग- 3.
बारिश के मौसम में पड़ोसी एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं ।
जब भी बारिश का मौसम आता है, पड़ोस में रहने वाले लोग एक दूसरे से गहरी दुश्मनी कर लेते हैं । ऐसा इसलिए होता है कि जब भी बरसात होता है तो पड़ोस वाले अपने घर का पानी दूसरे के घर के तरफ बहाने लगते हैं । किसी के घर के छत का पानी दूसरे के घर पर गिरता है, तो किसी के घर के नाले का पानी दूसरे के द्वार पर बहने लगता है । इसी को देख कर पड़ोसी एक दूसरे के जान के दुश्मन बन जाते हैं । और यही जान का दुश्मन बनना ही या एक दूसरे से गहरी दुश्मनी पाल लेने को ही खून का प्यासा होना कहते हैं ।
वाक्य प्रयोग- 4.
शेखर ने मनोज से कहा कि अगर तुम मुखिया जी के खिलाफ चुनाव लड़ोगे तो वो तुम्हारे खून के प्यासे हो जाएंगे ।
मनोज इस बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है । मनोज के बिरादरी वाले भी उसको सपोर्ट कर रहे हैं और मुखिया जी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं । मनोज को मुखिया जी ने ही चुनाव के विषयों के बारे में सिखाया है, कि किस प्रकार से चुनाव लड़ा और जिता जाता है । यही कारण है कि शेखर को जब ये बात मालूम हुआ कि मनोज मुखिया जी के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है तो वो मनोज को चुनाव लड़ने से मना करने लगा । क्योंकि शेखर को पता है कि अगर मनोज मुखिया जी के खिलाफ चुनाव लड़ेगा तो मुखिया जी मनोज के जान के दुश्मन बन जाएंगे, और मनोज को देखना तक पसंद नही करेंगे । अर्थात कि जान का दुश्मन बनना ही खून का प्यासा होना कहलाता है ।
वाक्य प्रयोग- 5.
गुप्ता जी ने जब अपनी सम्पत्ति बेटे के साथ-साथ अपनी बेटी को भी देने का फैसला किया है, तब से गुप्ता जी का बेटा अपने पिता यानी कि गुप्ता जी का जान का दुश्मन बन गया है । और गुप्ता जी भी अपने बेटे का ये रवैया देखकर उसको देखना तक पसंद नही करते हैं । सम्पत्ति के बटवारे के चलते दोनो बाप-बेटे एक दूसरे के दुश्मन बन गए हैं । गुप्ता जी इस बात पर टिके हैं कि सम्पत्ति में बेटी को भी हिस्सा मिलेगा और बेटा इस बात पर अडा है कि वो सम्पत्ति का दो हिस्सों में बटवारा होने नही देगा । इसी बात को लेकर दोनो एक दूसरे के जान के दुश्मन हो गए हैं । और इस प्रकार से जान का दुश्मन होना ही खून का प्यासा होना कहलाता है ।
दोस्तों, हम ये आशा करते हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।
आपका दिन शुभ हो !😊
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