"अक्लमंद को इशारा ही काफी है" मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Akalmand Ko Ishara Hi Kafi Hai Meaning In Hindi

Muh Ki Khana Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / मुंह की खाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है ?
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Muh Ki Khana |
मुहावरा- “मुँह की खाना” ।
( Muhavara- Munh Ki Khana )
अर्थ- अपमानित होना / पराजित होना / बुरी तरह से हार जाना / परास्त होना ।
( Arth/Meaning in Hindi- Apmanit Hona / Parajit Hona / Buri Tarah Se Haar Jana / Parast Hona )
“मुँह की खाना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
“मुँह की खाना” यह हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाला एक प्रचलित मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ किसी व्यक्ति द्वारा अपमानित होना, पराजित होना या बुरी तरह से हार जाना होता है ।
इस मुहावरे को दूसरे शब्दों में समझें तो-
“मुँह की खाना” मुहावरा हिंदी भाषा में एक प्रसिद्ध मुहावरा है जिसका अर्थ होता है किसी को धोखा देना या किसी से खिलवाड़ करना । यह मुहावरा अक्सर छल के साथ जुड़ा होता है जिससे इंसान को अश्वासन मिलता है, लेकिन वास्तविकता मे उसे ठगा जाता है ।
इस मुहावरे का अर्थ होता है किसी से छल-कपट करना या उसे भ्रमित करना । यह व्यक्ति के सामने अच्छा बनने का बहाना बना देना और उसकी अच्छी भावना का फायदा उठाने से संबंधित है ।
जैसे-
1. नए प्रोजेक्ट में बड़ी उम्मीदों के साथ निवेश करने वाली कंपनी को अंत में मुंह की खानी पड़ी।
2. बहस में हमेशा जीतने वाले अंकित को इस बार अपने दोस्त के तर्कों के सामने मुंह की खानी पड़ी।
3. राजनीति में बड़े-बड़े दावे करने वाले नेता को चुनाव परिणाम के बाद मुंह की खानी पड़ी।
4. मैच में जीत का दावा करने वाली टीम आखिरकार मुंह की खा गई।
5. चुनाव में जीत के लिए पूरी ताकत झोंकने वाले उम्मीदवार को अंततः मुंह की खानी पड़ी।
6. परीक्षा में टॉप करने का दावाकरने वाला छात्र खुद को फेल पाकर मुंह की खा गया।
7. अदालत में अपने पक्ष की जीत का दावा करने वाले वकील को सबूतों के अभाव में मुंह की खानी पड़ी।
इस मुहावरे का अर्थ एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं -
रमेश को ग्राम पंचायत के चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी के सामने मुँह की खानी पड़ी ।
रमेश ने इस बार ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है । रमेश ने ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ने का निर्णय तो लिया पर उसकी चुनाव लड़ने की तैयारी दिखाई नही दे रही है । और रमेश का प्रतिद्वंदी चुनाव जितने के लिए दिन रात मेहनत करता है । रमेश ने चुनाव लड़ने के लिए कोई योजना नही बनाई और पूरे चुनाव तक लापरवाही करता रहा । रमेश के इसी लापरवाही के वजह से उसे ग्राम पंचायत के चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा । ग्राम पंचायत के चुनाव में रमेश का अपने प्रतिद्वंदी से बुरी तरह से पराजित होना ही रमेश के लिए “मुँह की खाना” मुहावरे के समान है ।
“मुँह की खाना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Muh Ki Khana Muhavare Ka Vakya Prayog.
“मुँह की खाना” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं । जो कि इस प्रकार से हैं -
वाक्य प्रयोग- 1.
गुड्डू को कुश्ती के दंगल में मुँह की खाना पड़ा ।
गाँव के मेले में कुश्ती के दंगल का आयोजन किया गया था । उस दंगल मे बहुत से पहलवानों ने भाग लिया था, जिसमे गुड्डू भी था । कुछ पहलवानों के खुश्ती होने के बाद अब गुड्डू की बारी थी । कुश्ती के दंगल में गुड्डू ज्यादा देर तक टिक नही पाया और वह बुरी तरह से परास्त हो गया । कुश्ती के दंगल में गुड्डू का बुरी तरह से परास्त होना ही “मुँह की खाना” कहलाता है ।
वाक्य प्रयोग- 2.
रूस और युक्रेन के बीच काफी महीनों से युद्ध चल रहा है । इस युद्ध में रूस का दबदबा साफ दिखाई दे रहा है । इस दोनों देशों के बीच में युक्रेन को बहुत ज्यादा हानि पहुंच रही है । और यही कारण है को युक्रेन इस युद्ध में बुरी तरह से हार रहा है । युक्रेन का इस युद्ध में बुरी तरह से हारना ही मुँह की खाना कहलाता है ।
वाक्य प्रयोग- 3.
पिंटो मुँह की खाने से पहले ही अपने परिवार के सामने सब कुछ बता दी ।
पिंटो को एक अनजान व्यक्ति सोशल मीडिया के जरिये काफ़ी ज्यादा परेशान कर रहा था । उस व्यक्ति के पास पिंटो के कुछ आपत्तिजनक फोटो मौजूद थे जिसके सहारे वह पिंटो को सोशल मीडिया के जरिये परेशान कर रहा था । पिंटो को यह एहसास हो गया कि अगर उस व्यक्ति ने उन फोटो के जरिए कुछ उल्टा सीधा कर दिया तो पिंटो बहुत अपमानित होगी । खुद को अपमानित होने से बचाने के लिए पिंटो ने अपने परिवार को इस घटना के बारे में सब कुछ बता दिया । मतलब की पिंटो खुद को अपमानित होने जैसा महसूस करना ही मुँह की खाने के समान है ।
वाक्य प्रयोग- 4.
शतरंज के बाज़ी में करन को दीपक के हांथो मुँह की खानी पड़ी ।
करन और दीपक के बीच शतरंज की बाज़ी हो रही थी । इस बाज़ी में दोनों खिलाड़ी एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे थे । पर इस बाज़ी के अंतिम क्षणों में करन को दीपक के हाथों होना पड़ा । और इस शतरंज की बाज़ी में करण का पराजित होना ही “मुँह की खाना” कहलाता है ।
वाक्य प्रयोग- 5.
कारगिल के युद्ध में दुश्मन देश की सेना को भारतीय सेना के हाथों बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा । इस युद्ध में भारतीय सेना ने अपना पराक्रम दिखाते हुए अपने दुश्मनों को परास्त कर दिया । मतलब कि दुश्मन देश का भारतीय सेना के हाथों बुरी तरह से हारना या पराजित होना ही उसके लिए मुँह की खाना कहलाता है ।
दोस्तों, हम आशा करते हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । अपने सुझाव देने के लिए आप हमें कमैंट्स कर सकते हैं ।
आपका दिन शुभ हो ! 😊
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