पगड़ी रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Pagadi Rakhana Meaning In Hindi


Pagdi Rakhna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / पगड़ी रखना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

 

पगड़ी रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Pagadi Rakhana Meaning In Hindi
Pagadi Rakhna




मुहावरा - “पगड़ी रखना” ।


( Muhavara- Pagadi Rakhna )



अर्थ - इज़्ज़त बचाना / मान सम्मान बचाना / लाज़ बचाना / मान भंग न होने देना ।


( Arth/Meaning in Hindi- Izzat Bachana / Maan Samman Bachana / Laaj Bachana / Maan Bhang Na Hone Dena )




“पगड़ी रखना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


पगड़ी रखना” यह मुहावरा हिंदी भाषा में प्रयुक्त किया जाता है । इस मुहावरे का अर्थ किसी व्यक्ति का समाज में या किसी विशेष स्थान पर मान सम्मान बचाना, इज़्ज़त बचाना या लाज़ बचाना होता है ।


पगड़ी रखना” मुहावरे का दूसरा अर्थ यह होता है कि किसी के स्वभाविक गर्व या सम्मान को बनाए रखना और उसे खोने से बचाना । इस मुहावरे का उपयोग किसी के आत्म सम्मान या गर्व की रक्षा करने के लिए किया जाता है । जैसे- 


1. उसने अपने अच्छे संस्कृति को स्थाई रूप से बनाए रखने के लिए मान सम्मान बचाने के लिए संघर्ष किया ।


2. शिक्षक ने छात्र को यह सिखाया की वे अपने माता-पिता के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए मान सम्मान बचाएं ।


3. जब किशन को अनुचित आरोपों का सामना करना पड़ा, तो उसने खुद को बचाने के लिए अपना मान सम्मान बचाए रखा ।



इस मुहावरे का अर्थ एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं -


हरी अपने पड़ोसी शर्मा को कुछ रुपए दिए थे । हरी जब अपने दिए हुए पैसे मांगने आया तो शर्मा ने उन पैसों को देने के लिए कुछ और समय मांगा । पर हरी शर्मा को किसी भी कीमत पर आज ही पैसे चुकाने के लिए कहने लगा । पैसे न चुकाने पर हरी ने शर्मा से कहा की अगर आज मुझे मेरे पैसे नही मिले तो मै तुम्हें पंचायत में लेकर जाऊंगा । तभी उसी समय शर्मा जी का दोस्त आया और हरी को उसके दिए हुए पैसे लौटा दिया । शर्मा ने अपने दोस्त से कहा की दोस्त तुमने आज मेरा लाज़ बचा लिया । तुम्हारी वजह से मेरा मान सम्मान बच गया वरना आज तो मेरी इज़्ज़त उतर जाती । शर्मा के दोस्त द्वारा शर्मा का लाज़ बचाना या उसका मान सम्मान बचाना ही पगड़ी रखने के समान है ।



“पगड़ी रखना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Pagadi Rakhna Muhavare Ka Vakya Prayog.


पगड़ी रखना” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं -



वाक्य प्रयोग- 1.


शादी समारोह में दहेज़ के लिए जब सब लोगो के सामने लड़की की पिता का मान सम्मान की धज्जियां उड़ाई जा रही थी, तो उसी समय लड़की के एक दोस्त ने आकर लड़की की पिता का इज़्ज़त बचा लिया । लड़को वालों की जो भी नाराजगी थी उसे दूर करके लड़की के दोस्त ने लड़की के पिता का मान सम्मान बचाया । लड़की के पिता ने उसके दोस्त से कहा कि बेटा आज तुमने मेरी पगड़ी की लाज रख ली ।



वाक्य प्रयोग- 2.


एक अध्यापक को कुछ लोग भला बुरा कह रहे थे । उसकी समय कुछ छात्रों वहां पहुंच कर उन लोगों को किसी तरह से भगा कर अपने अध्यापक का मान भंग होने से बचा लिया । अर्थात कि मान भंग होने से बचाने को ही पगड़ी रखना कहते हैं ।



वाक्य प्रयोग- 3.


एक महिला अपने पिता के साथ कही जा रही थी । रास्ते में को कुछ बदमाशों ने उस महिला को छेड़ने का प्रयास करने लगे । उसी समय पुलिस पेट्रोलिंग करते हुए जा रही थी । महिला ने तुरंत पुलिस को आवाज़ लगाई । पुलिस को देख कर बदमाश भागने का प्रयास किए लेकिन पुलिस ने उनको पकड़ लिया । इस प्रकार से महिला की इज़्ज़त बदनाम होने से बच गयी । महिला के पिता ने पुलिस से कहा कि सही समय पर आ कर आप लोगों ने मेरी पगड़ी की लाज रख ली ।



वाक्य प्रयोग- 4.


समय से बैंक का कर्ज न चुका पाने पर बैंक के अफसरों ने सुरेश के खेत खलिहान की नीलामी करने का नोटिस देने आयी थी । सुरेश उन अफसरों के सामने बहुत हाथ पैर जोड़े की आप लोग ऐसा ना करें, मेरा पुरा परिवार सड़क पर आ जायेगा । पर उन अफसरों ने एक न सुनी । सुरेश के दामाद को जब इस बात का पता चला तो वो सुरेश को लेकर बैंक गया और सरा कर्ज चुका दिया । इसपर सुरेश ने कहा कि बेटा अगर आज तुम नही होते तो मेरा इज़्ज़त तार तार हो जाती, मेरे पूरे परिवार का मान सम्मान सब मिट्टी में मिल जाता । बेटा आज तुमने मेरी पगड़ी की लाज रख लिया ।



वाक्य प्रयोग- 5.


शर्मा जी ने दीपचंद से कहा की अगर तुम कल तक दहेज़ के पूरे पैसे मुझे नही दिए तो मेरे लड़के की बारात तुम्हारे दरवाजे पर नही जाएगी । दीपचंद ने कहा की शर्मा जी आप ऐसा मत कहिए अगर ऐसा हुआ तो मेरा मान सम्मान सब बर्बाद हो जायेगा । मेरी लड़की की इज़्ज़त बदमान हो जाएगी । मै कैसे भी करके कल तक दहेज़ के बाकी पैसे आप तक पंहुचा दूंगा । दीपचंद को समझ नही आरहा था की वो पैसों इंतेज़ाम कहा से करे । ग्राम प्रधान को जब ये बात पता चला यो वो दीपचंद के घर आ गए । और  दहेज़ के बाकी पैसे दीपचंद को दिया और कहा की आप जा कर शर्मा जी को ये पैसे दे आइये । दीपचंद ने प्रधान जी से कहा कि प्रधान जी आज अपने मेरी मदद करके मेरे पूरे परिवार की लाज़ बचा लिया । आज आपकी वजह से मेरी पगड़ी उछलने से बच गयी । अपने मेरी पगड़ी की लाज रख ली ।


दोस्तों, हम आशा करते हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।


आपका दिन शुभ हो ! 😊


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