टस से मस न होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Tas Se Mas Na Hona Meaning In Hindi
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Tas Se Mas Na Hona Muhavre Ka Arth Aur Vakya Prayog / टस से मस न होना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?
मुहावरा- “टस से मस न होना” ।
( Muhavara- Tas Se Mas Na Hona )
अर्थ- हठ ना छोड़ना / विचलीत ना होना / किसी भी प्रकार का प्रभाव न पड़ना / वस्तु का अपने स्थान से न हिलना / कुछ असर न पड़ना / अपनी बात पर अड़े रहना ।
( Arth/Meaning in Hindi- Hath Na Chhodna / Vichalit Nahi Hona / Kisi Bhi Prakar Ka Prabhav Na Padna / Vastu Ka Apne Sthan Se Na Hilna / Kuch Asar Na Padna / Apni Baat Par Ade Rahna )
“टस से मस न होना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
“टस से मस न होना”, यह हिंदी भाषा में प्रयोग किए जाने वाला एक महत्वपूर्ण व चर्चित मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ किसी व्यक्ति द्वारा अपना हठ ना छोड़ना, अपने मार्ग से विचलित न होना अथवा किसी वस्तु का अपने स्थान से न हिलना या अपनी बात पर अड़े रहने के साथ-साथ व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का प्रभाव न पड़ना भी होता है ।
टस से मस न होने का दूसरा अर्थ यह होता है कि किसी के साथ अटल या अधिकारिक ढंग से अपनी बात करना और किसी भी दबाव या प्रेणना के बिना अपनी प्राथमिकताओं पर काम करना । अर्थात इसका अर्थ होता है किसी की मान्यता या दिशा का पालन न करना और अपने स्वयं के सिद्धांतों और विचारों पर अड़ीग रहना । यह मुहावरा अधिकरत किसी के जिद्दी या अधिकारिक व्यवहार को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है । इसका उपयोग किसी व्यक्ति या स्थिति को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जो अपने आप को अविश्वसनीय और स्थिर साबित करने की कोशिश कर रहा है ।
जैसे-
1. गोपी को समझाने के बावजूद भी वह टस से मस नही हुआ, और अपनी बात पर अड़े रहा कि वह पिकनिक पर जाएगा ।
2. राहुल को उसके अध्यापक समझा के थक गए कि वह अपना होमवर्क पुरा कर के विद्यालय आए, लेकिन राहुल पर इसका कोई असर नही पड़ा अर्थात कि वह टस से मस नही हुआ ।
3. कुछ लोग जंगल के रास्ते कहीं जा रहे थे । रास्ते में उन्हें एक बड़ा पत्थर पड़ा हुआ दिखाई दिया । सब लोगो ने मिलकर उस पत्थर को रास्ते से हटाने की कोशिश की, परन्तु वह पत्थर अपने स्थान से टस से मस नही हुआ ।
4. कविता ने अपने पति से कहा कि उसे एक जोड़ी कान की बाली चाहिए । उसके पति ने उसे ये अश्वासन दिया कि वो कुछ दिनों के बाद खरीद देगा । लेकिन कविता हठ करने लगी की उसे अभी चाहिए । बेचारा पति बहुत समझाया कि वो बाद में खरीद देगा, पर कविता अपनी मांग से जरा सा भी टस से मस नही हुई ।
5. खुदाई के दौरान बजरंगबली की मूर्ति दिखाई दिया । लोगो ने सोचा की मूर्ति को वहां से हटा कर दूसरे जगह रख दिया जाए और मंदिर की स्थापना कर दी जाए । लोगों ने जब बजरंगबली की मूर्ति हटाने की कोशिश की तो मूर्ति अपने स्थान से जरा सा भी नही हिली । लाख कोशिश के बाद भी मूर्ति टस से मस नही हुआ तो लोगों ने उसी स्थान पर उस मूर्ति की स्थापना करवा दिया ।
उदाहरण -
एक गाँव में हरिया नाम का आदमी था । वह तरह-तरह के कारनामें किया करता था । वो आग, कांटो, नुकिले वस्तुओं इत्यादि पर भी चल लेता था । एक दिन किसी ने कहा की इसके उपर जहरीले साँपों को छोड़ा जाए ये जरूर डर जाएगा । फिर अगले दिन कई प्रकार के ज़हरीले साँपों को हरिया के ऊपर छोड़ दिया गया । हरिया चुपचाप बैठा रहा और साँप उसके ऊपर रेंगते रहें । लोगों ने देखा कि इन ज़हरीले साँपों का भी हरिया पर कोई असर नही पड़ रहा है । हरिया जब टस से मस नही हुआ तो लोग समझ गए कि इसके अंदर जरूर कोई अद्भुत शक्ति है, जो हरिया को किसी भी प्रकार का नुकसान नही होने देती है ।
“टस से मस न होना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Tas Se Mas Na Hona Muhavare Ka Vakya Prayog.
“टस से मस न होना” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं -
वाक्य प्रयोग- 1.
त्रेतायुग में बाली पुत्र अंगद के पाँव को किसी ने भी टस से मस नही कर पाया ।
सीता हरण के बाद जब अंगद शांति दूत बनकर लंका गए थे तो उन्होंने रावण के सम्मुख एक प्रस्ताव रखा । प्रस्ताव ये था कि अगर लंका का कोई भी व्यक्ति अंगद के बाएं पाँव को उठा दिया तो वो माता सीता को भुल जाएंगे । पर किसी ने भी अंगद के बाएं पैर को उठाना तो दूर उसे हिला भी नही पाए । लंका के किसी भी व्यक्ति ने अंगद के पाँव को उसके स्थान से टस से मस नही कर पाए ।
वाक्य प्रयोग- 2.
सीता स्वयंबर में प्रभु श्री राम के अतिरिक्त किसी ने भी शिव धनुष को टस से मस नही कर पाया ।
जब राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता को शिव धनुष उठाते हुए देखा तो वो अचंभित हो गए । उसी दिन जनक जी ने ये प्रतिज्ञा लिया की जो कोई भी इस शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा उसी से सीता का विवाह वो करेंगें । राजा जनक ने सीता विवाह का स्वयंबर रखा जिसमें दूर-दूर से आए हुए राजा महाराजा उस स्वयंबर का शोभा बढ़ा रहे थे । जब शिव धनुष को उठाने की बारी आई तो किसी भी राजा महाराजा ने शिव धनुष को उठाना तो दूर उसे उसके स्थान से हिला भी नही पाए । सभी लोगों ने एक साथ मिल कर शिव धनुष को उठाने का प्रयास किया परन्तु उनका ये प्रयास भी बिफल रहा । अंत में प्रभु श्री राम ने उस शिव धनुष को तोड़ा और सीता माता से विवाह उनका विवाह सम्पन्न हुआ । अर्थात कि प्रभु राम के अलावा किसी ने भी शिव धनुष को उसके स्थान से टस से मस नही कर पाया ।
वाक्य प्रयोग- 3.
रजत ने अपनी माँ से कहा कि वो देश की सेवा के लिए आर्मी की सेना में भर्ती होना चाहता है । पर रजत की माँ नही चाहती हैं कि वो आर्मी में जाए । इसलिए रजत की माँ ने रजत से कहा कि बेटा तुम मेरे इकलौते बेटे हो, मैं नही चाहती की तुम मुझे छोड़कर कही दूर जाओ और वो भी आर्मी में । माँ के बार-बार समझाने के बाद भी रजत ने अपनी हठ नही छोड़ी और वह अपनी बात पर अड़े रहा । अर्थात कि रजत अपनी माँ के समझाने के बाद भी टस से मस नही हुआ ।
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