“कचूमर निकलना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kachumar Nikalna Meaning In Hindi

Kachumar Nikalna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कचूमर निकलना मुहावरे का क्या अर्थ होता है? मुहावरा- “कचूमर निकलना”। (Muhavara- Kachumar Nikalna) अर्थ- खूब पीटना / किसी का बुरा हाल हो जाना या कर देना / अत्यधिक शारीरिक पीड़ा होना । (Arth/Meaning In Hindi- Khub Pitna / Kisi Ka Bura Hal Ho Jana Ya Kar Dena / Atyadhik Sharirik Pida Dena) “कचूमर निकलना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- अर्थ: ‘कचूमर निकलना’ एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जिसका अर्थ होता है – बहुत ज़्यादा पीटना, किसी को इतना कष्ट देना या मारना कि वह पूरी तरह टूट जाए, या किसी का बुरा हाल हो जाना। यह मुहावरा शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक रूप से बहुत अधिक थक जाने, पीड़ित होने या पीट दिए जाने के भाव को व्यक्त करता है। व्याख्या: हिंदी भाषा में मुहावरे न केवल भाषा को प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य को भी दर्शाते हैं। "कचूमर निकलना" एक ऐसा ही मुहावरा है, जो आम बोलचाल की भाषा में बड़े ही व्यंग्यात्मक और रोचक अंदाज़ में प्रयुक्त होता है। यह मुहावरा किसी व्यक्ति की हालत बहुत ही खराब हो ज...

एक और एक ग्यारह होते हैं मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Ek Aur Ek Gyarah Hote Hai Meaning In Hindi

 

Ek Aur Ek Gyarah Hote Hai Muhavre Ka Arth Aur Vakya Prayog / एक और एक ग्यारह होते हैं मुहावरे का अर्थ क्या होता है?


 
एक और एक ग्यारह होते हैं मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Ek Aur Ek Gyarah Hote Hai Meaning In Hindi
Ek Aur Ek Gyarah Hote Hai






मुहावरा- “एक और एक ग्यारह होते हैं” ।


( Muhavara- Ek Aur Ek Gyarah Hote Hai )



अर्थ- एकता में अधिक शक्ति होती है / संगठन में बहुत शक्ति होती है / एकता में बल होता है ।


( Arth/Meaning in Hindi- Ekta Me Shakti Hoti Hai / Sangathan Me Bahut Shakti Hoti Hai / Ekta Me Bal Hota Hai )






“एक और एक ग्यारह होते हैं” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


 “एक और एक ग्यारह होते हैं” यह हिन्दी भाषा में प्रयुक्त किए जाने वाला एक महत्वपूर्ण व प्रचलित मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ होता है, एकता में अधिक शक्ति होती है अथवा संगठन में बहुत शक्ति होती है ।


 “एक और एक ग्यारह होते हैं” मुहावरे का मतलब है कि जब दो लोग या मिलकर काम करते हैं तो उनकी ताकत और प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है । यह मुहावरा इस बात पर जोर देता है कि आपसी सहयोग और एक जुटता से छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े परिणाम दे सकते हैं । एक अकेला व्यक्ति जो काम नही कर सकता, वही काम दो व्यक्ति मिलकर आसानी से कर सकते हैं । यह कहावत टीमवर्क, साझेदारी और साथ मिलकर काम करने की शक्ति को दर्शाती है ।


 “एक और एक ग्यारह होते हैं” मुहावरे का अर्थ है कि जब दो अधिक व्यक्ति मिलकर कोई कार्य करते हैं, तो उनकी शक्ति और परिणाम कई गुना बढ़ जाते हैं । यह मुहावरा एकता, सहयोग और मिलजुल कर काम करने की ताकत को दर्शाता है । इसका तात्पर्य यह है कि जब लोग एकजुट होकर किसी उद्देश्य के लिए प्रयास करते हैं, तो वे अपने व्यक्तिगत प्रयासों से कहीं अधिक बड़े और प्रभावी परिणाम प्राप्त कर सकते हैं ।


जैसे


1. यदि घर के सभी लोग मन लगाकर काम करें, तो गांव में उन्हे कोई नही दबा सकता, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं ।


2. जब दो दोस्तों ने मिलकर रास्ते में पड़ा बड़ा सा पत्थर हटाया तो मुझे समझ में आ गया कि एक और एक ग्यारह होते हैं ।


3. संगठन के सभी सदस्य अगर साथ काम करेंगे तो एक और एक ग्यारह होते हैं, वाली कहावत सही साबित होगी । 


4. व्यापार में साझेदारी तभी सफल होती है, जब सब मिलकर काम करते हैं, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं ।


5. श्याम अकेले ही मकान की सफाई कर रहा था । पर जब उसके साथ मोहन भी सफाई करने लगा तो सफाई का काम बहुत जल्दी हो गया । सच कहा है कि एक और एक ग्यारह होते हैं ।


6. गजेंद्र और सुरेन्द्र दोनोें भाइयों ने व्यापार में हाथ मिलाया, और देखते ही देखते उनकी कम्पनी, एक और एक ग्यारह होते हैं, की तरह तरक्की करने लगी ।


7. पिता जी ने कहा कि हमें मिलकर काम करना चाहिए तभी हम आगे बढ़ सकते हैं, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं ।


8. सोनू ने मुझसे कहा कि मास्टर जी ने हमें सिखाया है कि अगर कोई काम कठिन हो तो सबको एक साथ मिलकर उस काम को पुरा करना चाहिए, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं ।



“एक और एक ग्यारह होते हैं” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Ek Aur Ek Gyarah Hote Hai Muhavare Ka Vakya Prayog. 


 “एक और एक ग्यारह होते हैं” इस मुहावरे का अर्थ निचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझा जा सकता है, जो कि इस प्रकार से है-



वाक्य प्रयोग- 1.


एक गाँव में सड़को की हालत बहुत खराब भी । गाँव के सभी लोग बहुत परेशान थे । सरकारी योजनाएं उस गाँव तक पहुंच नही पा रही थी । एक दिन गाँव के सरपंच ने देखा कि एक वृद्ध आदमी गांव की सड़क को अकेले ही ठीक कर रहा है । लेकिन अकेले कोई गांव के सड़क को सुधार नही पा रहा था । अंत में गांव के सरपंच ने सभी को एकजुट किया और उस वृद्ध आदमी के साथ मिलकर सड़को की मरम्मत का काम शुरु कर दिया । सभी लोगों ने मिलकर काम किया तो देखते हि देखते गांव की सड़के चमकने लगीं । इस अनुभव से उस वृद्ध आदमी और साथ सी साथ सभी गाँव वालों को समझ में आ गया कि कोई भी बड़ा काम अकेले नही होता है । जब साथ में सभी लोग मिलकर काम करते हैं तो कोई भी काम मुश्किल नही होता । अर्थात कि एक और एक ग्यारह होते है ।



वाक्य प्रयोग- 2.


एक स्कूल में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन हो रहा था । अध्यापक ने बच्चों से कहा कि सब लोग आपसे में मिलकर दो चार ग्रुप बना लें फिर अपना प्रोजेक्ट पुरा करके प्रदर्शनी में लगाएं । पहले दिन सभी बच्चे अध्यापक के निर्देश का पालन नही किए और अकेले ही अपने अपने प्रोजेक्ट तैयार करने में लग गए । लेकिन उनका प्रोजेक्ट पुरा नही हो पाया । अगले दिन बच्चों ने ग्रुप बना कर काम करने का निर्णय लिया । सभी बच्चों ने अपने अपने ग्रुप में अपनी ताकत और कौशल का उपयोग किया, और परिणामस्वरूप उनका प्रोजेक्ट बन कर तैयार हो गया । सभी बच्चों को समझ में आ गया कि एक और एक ग्यारह होते हैं, अर्थात कि जब बड़े से बड़े कार्य को साथ में मिलकर करते हैं तो वह कार्य पुरा हो जाता है ।



वाक्य प्रयोग- 3.


दो भाई रमेश और सुरेश अपना-अपना छोटा सा व्यापार शुरु करना चाहते थे । पर दोनोें के पास पूंजी कम थी और अकेले दम पर व्यापार करना मुश्किल लग रहा था । एक दिन दोनोें भाई एक पास बैठे थे तभी एक ने कहा कि क्यों ना हम एक साथ मिलकर अपना व्यापार शुरु करें । फिर क्या था, दोनो भाई तैयार हो गए । दोनोें भाइयों ने अपना पूंजी मिलाया और एक साथ व्यापार शुरु कर दिया । धारे-धीरे उनका व्यापार आगे की तरफ बढ़ने लगा और कुछ ही सालों में दोनों बहोत बड़े व्यापारी बन गए । उन दोनोें भाइयों को समझ में आ गया कि एक और एक ग्यारह होते हैं अर्थात कि मिलकर काम करने से सफलता की राह आसान हो जाती है ।



वाक्य प्रयोग- 4.


रामू के गांव में पानी की बहोत कमी थी । जब बरसात आती है तभी रामू के गांव वालों को भरपुर पानी मिलता है । रामू ने सोचा कि क्यों ना एक कुआँ खोदकर इस बरसात के पानी को इकट्ठा किया जाए । फिर क्या तबा रामू ने अकेले ही कुआँ खोदना शुरु कर दिया । रामू को अकेले कुआँ खोदने में बहुत दिक्कत हो रही थी । फिर उसने गांव के कुछ लोगों को समझाया और फिर उन लोगों के साथ मिलकर फिर से कुआँ खोदने लगा । कुछ ही दिनों में कुआँ तैयार हो गया । फिर जब बरसात आई तो उस कुएँ में पानी भर गया और सबको पानी की सुबिधा हो गई । रामू को अब समझ में आ गया था कि किसी भी काम को मिलकर करने से वो काम जल्दी पुरा हो जाता है । अर्थात कि एक और एक ग्यारह होते हैं ये रामू को समझ में अब आ चुका था ।



"एक और एक ग्यारह होते हैं" मुहावरे पर कहानी-


कहानी शुरू होती है एक छोटे से गांव, शिवपुरा, से, जहां दो भाई, अर्जुन और विवेक, रहते थे। अर्जुन बड़ा था, समझदार और मेहनती। विवेक छोटा था, लेकिन उसकी बुद्धिमत्ता और कल्पनाशक्ति किसी से कम नहीं थी। दोनों भाइयों के बीच गहरी मित्रता थी, लेकिन उनके व्यक्तित्व में जमीन-आसमान का फर्क था। अर्जुन व्यावहारिक था, जबकि विवेक आदर्शवादी।


गांव में एक पुराना तालाब था, जो कभी गांव की जान हुआ करता था। लेकिन समय के साथ तालाब गंदगी और कचरे का अड्डा बन गया था। गांव के लोग पानी के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों पर निर्भर थे। इस समस्या को हल करने के लिए अर्जुन ने पंचायत से बात की, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विवेक ने सुझाव दिया, "भैया, क्यों न हम दोनों ही कुछ करें? अगर हम तालाब को साफ कर दें, तो गांव का जीवन बदल सकता है।"


अर्जुन को यह विचार कठिन लगा। "सिर्फ हम दो लोग इतने बड़े तालाब को कैसे साफ करेंगे?"

विवेक ने मुस्कुराते हुए कहा, "भैया, याद है न, एक और एक ग्यारह होते हैं। अगर हम शुरू करेंगे, तो और लोग भी जुड़ेंगे।"


पहला कदम


अगले दिन, दोनों भाइयों ने सफाई का काम शुरू किया। पहले दिन, कोई उनके साथ नहीं था। लेकिन उनकी मेहनत देखकर गांव के कुछ बच्चे और युवा जुड़ने लगे। अर्जुन ने अपने अनुभव से कार्य को व्यवस्थित किया, जबकि विवेक ने अपने जोश और उत्साह से सबको प्रेरित किया।


धीरे-धीरे लोग समझने लगे कि यह काम सिर्फ तालाब की सफाई का नहीं है, बल्कि उनके भविष्य को सुधारने का प्रयास है। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, गांव के बुजुर्ग, महिलाएं, और बच्चे भी इस अभियान में शामिल हो गए।


संकट और समाधान


एक दिन, जब सफाई का काम लगभग पूरा होने वाला था, तो अचानक भारी बारिश हो गई। तालाब में गंदगी फिर से भर गई, और सभी का मनोबल टूटने लगा। अर्जुन ने कहा, "अब शायद यह काम पूरा करना असंभव है।"

विवेक ने दृढ़ता से कहा, "भैया, हार मान लेना विकल्प नहीं है। हमें इसे फिर से शुरू करना होगा।"


विवेक ने गांववालों को समझाया, "हमारी मेहनत बर्बाद नहीं हुई है। यह सिर्फ एक और चुनौती है। अगर हम एकजुट रहेंगे, तो यह भी पार हो जाएगी।" उनकी बातों ने सभी को उत्साहित किया, और सफाई का काम फिर से शुरू हो गया।


सपना साकार


कई महीनों की मेहनत के बाद, तालाब पूरी तरह से साफ हो गया। उसका पानी अब इतना साफ था कि उसमें आसमान झलकने लगा। गांव के लोग अब गर्व से कहते, "यह हमारा तालाब है।" तालाब ने न केवल गांव की पानी की समस्या हल की, बल्कि गांववालों को एकजुट भी कर दिया।


इस घटना के बाद अर्जुन और विवेक गांव के नायक बन गए। अर्जुन ने माना कि विवेक सही था। "एक और एक ग्यारह होते हैं, यह सिर्फ कहावत नहीं, बल्कि जीवन का सत्य है।"


नया अध्याय


तालाब की सफाई के बाद, गांववालों ने तय किया कि वे मिलकर अन्य समस्याओं का समाधान भी करेंगे। शिक्षा, स्वच्छता, और कृषि में सुधार जैसे काम शुरू किए गए। अर्जुन और विवेक ने मिलकर साबित कर दिया कि जब लोग एकजुट होते हैं, तो असंभव कुछ भी नहीं।


इस तरह, "एक और एक ग्यारह होते हैं" न केवल एक मुहावरा, बल्कि शिवपुरा गांव की सफलता की कहानी बन गया।


दोस्तों, हम आशा करतें हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । आप अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।


आपका दिन शुभ हो ।




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