“कचूमर निकलना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kachumar Nikalna Meaning In Hindi

Kachumar Nikalna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कचूमर निकलना मुहावरे का क्या अर्थ होता है? मुहावरा- “कचूमर निकलना”। (Muhavara- Kachumar Nikalna) अर्थ- खूब पीटना / किसी का बुरा हाल हो जाना या कर देना / अत्यधिक शारीरिक पीड़ा होना । (Arth/Meaning In Hindi- Khub Pitna / Kisi Ka Bura Hal Ho Jana Ya Kar Dena / Atyadhik Sharirik Pida Dena) “कचूमर निकलना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- अर्थ: ‘कचूमर निकलना’ एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जिसका अर्थ होता है – बहुत ज़्यादा पीटना, किसी को इतना कष्ट देना या मारना कि वह पूरी तरह टूट जाए, या किसी का बुरा हाल हो जाना। यह मुहावरा शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक रूप से बहुत अधिक थक जाने, पीड़ित होने या पीट दिए जाने के भाव को व्यक्त करता है। व्याख्या: हिंदी भाषा में मुहावरे न केवल भाषा को प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य को भी दर्शाते हैं। "कचूमर निकलना" एक ऐसा ही मुहावरा है, जो आम बोलचाल की भाषा में बड़े ही व्यंग्यात्मक और रोचक अंदाज़ में प्रयुक्त होता है। यह मुहावरा किसी व्यक्ति की हालत बहुत ही खराब हो ज...

घर का भेदी लंका ढाये मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Ghar Ka Bhedi Lanka Dhaye Meaning In Hindi


Ghar Ka Bhedi Lanka Dhaye Muhavre Ka Arth Aur Vakya Prayog / घर का भेदी लंका ढाये मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

 

घर का भेदी लंका ढाये मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Ghar Ka Bhedi Lanka Dhaye Meaning In Hindi
Ghar Ka Bhedi Lanka Dhaye




मुहावरा- “घर का भेदी लंका ढाये” ।


( Muhavara- Ghar Ka Bhedi Lanka Dhaye )



अर्थ- अपना आदमी विपक्ष को भेद देकर नाश करवा देता है / आपसी फूट से हानि होना / आपसी फूट के कारण भेद खोलना ।


( Arth/Meaning in Hindi- Apna Aadami Vipaksh Ko Bhed Dekar Nash Karwa Deta Hai / Apasi Foot Se Hani Hona / Apasi Phut Ke Karan Bhed Kholna )





“घर का भेदी लंका ढाये” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


“घर का भेदी लंका ढाये” यह हिंदी भाषा में प्रयोग किए जाने वाला एक चर्चित मुहावरा है । इस मुहावरे का मतलब होता है, कि अपना आदमी विपक्ष को भेद बता कर नाश करवा देता है ।


“घर का भेदी लंका ढाए” का अर्थ होता है कि जब कोई व्यक्ति अपने ही परिवार, समूह, या संगठन का भेद (राज़) बाहर के लोगों को बता देता है, तो वह संगठन या परिवार को नुकसान पहुँचाता है। यह कहावत रामायण से ली गई है, जहाँ विभीषण ने अपने भाई रावण का साथ छोड़कर राम की सेना को रावण की लंका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी, जिसके कारण रावण की हार और लंका का विनाश हुआ। इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी अपने द्वारा ही किसी संगठन या परिवार के गुप्त रहस्यों को बाहर प्रकट कर दिया जाता है, जिससे उस संगठन या परिवार को हानि होती है।  


जैसे-


1. केशव ने मेरी हर बात विफल कर दी क्योंकि मेरे भाई ने उसे पहले ही मेरी सारी योजना बता दी थी । ठीक ही तो कहा है, घर का भेदी लंका ढाये ।


2. रामू ने अपने दोस्तों के साथ धोखा किया, उसने अपने दोस्तों के राज उनके दुश्मन को बता दिया । जैसे "घर का भेदी लंका ढाए"।


3. मोहनलाल के राजनीतिक पार्टी की हार का कारण उनके ही सदस्य थे, उन्होंने पार्टी की नई रणनीति की जानकारी दूसरी पार्टी को दे दिए ये तो वही बात हुआ "घर का भेदी लंका ढाए"।


4. एक पुराने संगठन में "घर का भेदी" होने के कारण कई महत्वपूर्ण योजनाएं असफल हो गईं।


5. मोनिका की छोटी सी गलती ने परिवार की प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाई, मोनिका ने अपने भाई की कुछ बुरी आदतों के बारे में लड़की वालों को बता दिया जिससे उसके भाई की शादी टूट गई । अर्थात कि मोनिका में "घर का भेदी लंका ढाए" वाला काम किया ।


6. टीम में एक खिलाड़ी ने विरोधी टीम को अपनी टीम की रणनीति बता दी, जिसकी वजह से टीम को हार का मुँह देखना पड़ा । मतलब की टीम में कोई है जो "घर का भेदी लंका ढाए" वाला कार्य कर रहा है ।


7. उस मंत्री की गुप्त जानकारी लीक होने से सरकार की नीतियां कमजोर पड़ गईं, अर्थात कि कोई अपना ही है जो "घर का भेदी लंका ढाए" जैसा बर्ताव कर रहा है ।


8. वर्मा जी ने कहा कि परिवार के किसी सदस्य ने अंदर की बातें बाहर वालों को बता दीं, जिसकी वजह से हमें बिजनेस में नुकसान सहना पड़ रहा है, "घर का भेदी लंका ढाए"।  


इस प्रकार यह मुहावरा उन स्थितियों में प्रयुक्त होता है, जहाँ अपने ही लोगों द्वारा दी गई जानकारी के कारण किसी की हार या नुकसान होता है।



“घर का भेदी लंका ढाये” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Ghar Ka Bhedi Lanka Dhaye Muhavare Ka Vakya Prayog.


“घर का भेदी लंका ढाये” एक प्रसिद्ध कहावत है जिसका अर्थ है कि किसी घर या संगठन के भीतर का कोई व्यक्ति (अंदरूनी व्यक्ति) ही उसकी कमजोरियों का फायदा उठाकर उसे नुकसान पहुंचा सकता है।


इस मुहावरे का अर्थ निचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से है-



वाक्य प्रयोग- 1.


सोनू और मोनू बचपन के दोस्त थे। सोनू ने अपने दोस्त मोनू को अपने व्यवसाय में शामिल किया। मोनू को व्यापार की सभी जानकारी दी गई। कुछ महीनों बाद, मोनू ने सोनू की योजनाओं और ग्राहक सूची को चुराकर एक दूसरे व्यापारी को दे दिया और खुद भी उसी व्यापारी के वहां व्यवसाय शुरू कर दिया। सोनू को इससे बड़ा नुकसान हुआ । सोनू समझ गया कि यह काम किसी अपने ने ही किया है । ये तो वही बात हुई कि "घर का भेदी लंका ढाये"।



वाक्य प्रयोग- 2.


दीपक के परिवार में सब कुछ ठीक था। उसकी भाभी ने धीरे-धीरे उसके भाइयों के मन में दीपक के खिलाफ गलतफहमियां पैदा कर दीं। एक दिन, भाइयों ने दीपक को जायदाद से बेदखल कर दिया। दीपक को एहसास हुआ कि परिवार के अंदर के ही किसी व्यक्ति ने मेरे खिलाफ मेरे भाइयों को भड़काया है । अर्थात कि कोई है जो मेरे खिलाफ घर का भेदी लंका ढाये जैसा काम कर रहा है ।



वाक्य प्रयोग- 3.


एक कंपनी में शोहन नाम का एक कर्मचारी था, जिसपे कंपनी के मालिक का काफी भरोसा था। लेकिन शोहन ने एक प्रतिद्वंद्वी कंपनी से पैसे लेकर अपनी कंपनी की गुप्त जानकारी लीक कर दी। इससे कंपनी को भारी नुकसान हुआ। यह घटना दिखाती है कि अंदर के व्यक्ति का धोखा कितना घातक हो सकता है। ये तो वही बात हुई कि घर का भेदी लंका ढाये ।



वाक्य प्रयोग- 4.


पूनम और कला बहुत अच्छी सहेलियाँ थीं। पूनम  ने अपनी एक विशेष योजना कला को बताई थी। कला ने उस योजना का फायदा उठाकर खुद की सफलता के लिए उपयोग किया और पूनम को बिना बताए ही आगे बढ़ गई। इस घटना ने सीमा को सिखाया कि कभी-कभी अपने ही लोग धोखा दे सकते हैं। वो घर का भेदी लंका ढाये जैसा कार्य करने से कभी भी पीछे नही हटते हैं ।



वाक्य प्रयोग- 5.


एक स्कूल के छात्र परिषद चुनाव में, गीता ने अपनी सबसे अच्छी दोस्त रंजा के खिलाफ साजिश की। उसने रंजना के खिलाफ झूठी अफवाहें फैला दीं, जिससे रंजना चुनाव हार गई। चुनाव के बाद, रंजना को पता चला कि उसके नुकसान का कारण कोई और नहीं, बल्कि उसकी सबसे करीबी दोस्त थी, जिसने घर का भेदी लंका ढाये कार्य कर गई ।


इन वाक्य प्रयोगों से हमें यह सिखने को मिलता है कि जब अंदर के लोग ही धोखा देते हैं, तो वह किसी भी बाहरी खतरे से ज्यादा नुकसानदायक होता है।


दोस्तों, हम आशा करतें हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । आप अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।


आपका दिन शुभ हो ।







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