घर की मुर्गी दाल बराबर मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Ghar Ki Murgi Daal Barabar Meaning In Hindi
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Ghar Ki Murgi Dal Barabar Muhavre Ka Arth Arth Aur Vakya Prayog / घर की मुर्गी दाल बराबर मुहावरे का अर्थ क्या होता है?
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Ghar Ki Murgi Dal Barabar |
मुहावरा- “घर की मुर्गी दाल बराबर” ।
( Muhavara- Ghar Ki Murgi Daal Barabar )
अर्थ- घर की वस्तु का कोई मान नही / अपने आदमी को कम महत्व देना / आसानी से प्राप्त वस्तु का मूल्य न होना / घर की वस्तुओं को छोड़कर बाहर की वस्तुओं को पसंद करना ।
( Arth/Meaning in Hindi- Ghar Ki Vastu Ka Koi Maan Nahi / Apne Adami Ko Kam Mahatva Dena / Aasani Se Prapt Vastu Ka Mulya Na Hona / Ghar Ki Vastuyo Ko Chodkar Bahar Ki Vastuo Ko Pasand Karna )
“घर की मुर्गी दाल बराबर” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
“घर की मुर्गी दाल बराबर” यह हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाला एक लोकप्रिय मुहावरा है ।
"घर की मुर्गी दाल बराबर" मुहावरे का अर्थ है कि जो चीज़ घर में आसानी से उपलब्ध होती है, उसका महत्व कम हो जाता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब लोग किसी खास या महत्वपूर्ण वस्तु या व्यक्ति की कद्र नहीं करते क्योंकि वह उनके पास पहले से ही होता है।
इस मुहावरे का प्रयोग उस स्थिति को दर्शाने के लिए किया जाता है जब कोई व्यक्ति या वस्तु, जो घर में या पास में मौजूद होती है, उसकी कद्र नहीं की जाती। लोग अक्सर बाहरी चीज़ों को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं और अपनी ही चीज़ों को साधारण समझते हैं। यह कहावत बताती है कि हमें अपनी चीज़ों और अपने लोगों का सम्मान और कद्र करना चाहिए।
जैसे-
1. तुम अपने योग्य भाई को छोड़कर दुसरों के पैर चाटते फिरते हो, सच है तुम्हारे लिए तो घर की मुर्गी दाल बराबर ।
2. मोहन को अपने पिता के बनाए गए खाने की कद्र नहीं है, उसे हमेशा बाहर का ही खाना चाहिए। सच ही है, "घर की मुर्गी दाल बराबर"।
3. रमेश की माँ ने उसके लिए कितनी मेहनत से स्वेटर बुना, पर रमेश को वो पसंद नहीं आया। "घर की मुर्गी दाल बराबर" वाली बात हो गई।
4. अनु को अपने ही देश की चीज़ें कमतर लगती हैं, उसे हमेशा विदेश की ही चीज़ें अच्छी लगती हैं। "घर की मुर्गी दाल बराबर" वाली स्थिति है।
5. सविता अपनी माँ की सलाह को कभी गंभीरता से नहीं लेती क्योंकि वो उसे रोज़ सुनती है, "घर की मुर्गी दाल बराबर" वाली बात हो गई।
6. अपने ही स्कूल के शिक्षक को छात्र कम महत्व देते हैं, लेकिन बाहर के शिक्षक को अधिक आदर देते हैं। यह "घर की मुर्गी दाल बराबर" जैसा है।
7. गाँव के लोग अपने गाँव के डॉक्टर की सलाह को गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन बाहर के डॉक्टर के पास जाना पसंद करते हैं। "घर की मुर्गी दाल बराबर" वाली बात है।
8. जब अपने परिवार के लोग ही किसी की कद्र नहीं करते तो "घर की मुर्गी दाल बराबर" वाली कहावत सही साबित होती है।
इस प्रकार, यह मुहावरा हमारी अपनी चीज़ों और लोगों की कद्र करने का संदेश देता है।
“घर की मुर्गी दाल बराबर” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Ghar Ki Murgi Dal Barabar Muhavare Ka Vakya Prayog.
“घर की मुर्गी दाल बराबर” इस मुहावरे का अर्थ निचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से है-
वाक्य प्रयोग- 1.
श्यामू के पिता विनोद एक अच्छे शिक्षक थे। वे हमेशा श्यामू को अच्छे मार्ग पर चलने की सलाह देते थे, लेकिन श्यामू कभी उनकी सलाह को गंभीरता से नहीं लेता था। वह सोचता था कि पिता जी तो रोज़ यही बातें कहते रहते हैं। एक दिन श्यामू ने अपने दोस्त के पिता से वही सलाह सुनी और उसकी कद्र की। तब उसके दोस्त ने कहा, "राजू, ये तो वही बातें हैं जो तुम्हारे पिता जी भी कहते हैं।" श्यामू को समझ में आया कि "घर की मुर्गी दाल बराबर" वाली बात उसने अपने पिता की सलाह के साथ कर दी थी।
वाक्य प्रयोग- 2.
सुनीता की माँ ने ठंड के मौसम में उसके लिए एक सुंदर स्वेटर बुना। लेकिन सुनीता ने वह स्वेटर नहीं पहना क्योंकि उसे यह पुराना फैशन लगा। उसने अपने दोस्त की नई दुकान से स्वेटर लिया और बहुत खुश हुई। कुछ दिनों बाद, जब उसने देखा कि उसकी दोस्त उसी प्रकार का स्वेटर पहने हुए है जो उसकी माँ ने बुना था, तब उसे अहसास हुआ कि "घर की मुर्गी दाल बराबर" वाली कहावत उस पर फिट बैठती है।
वाक्य प्रयोग- 3.
गाँव में एक डॉक्टर, डॉ. आनंद शर्मा, हमेशा गाँव वालों की सेवा में तत्पर रहते थे। लेकिन गाँव के लोग हमेशा शहर के डॉक्टर के पास जाना पसंद करते थे। एक दिन जब कोई बड़ा हादसा हुआ और शहर के डॉक्टर समय पर नहीं पहुँच सके, तो डॉ. आनंद शर्मा ने ही सबकी मदद की। तब गाँव वालों को समझ आया कि "घर की मुर्गी दाल बराबर" वाली सोच ने उन्हें एक अच्छे डॉक्टर की कद्र करने से रोका।
वाक्य प्रयोग- 4.
कोमल एक बहुत अच्छी गायिका थी, लेकिन उसके परिवार को उसकी गायकी में कोई खासियत नहीं दिखती थी। वे हमेशा बड़े-बड़े गायक और गायिकाओं की तारीफ करते थे। एक दिन कोमल ने एक संगीत प्रतियोगिता जीती, तब परिवार वालों को समझ में आया कि "घर की मुर्गी दाल बराबर" वाली सोच के कारण उन्होंने गीता की प्रतिभा की अनदेखी की थी।
वाक्य प्रयोग- 5.
एक स्कूल में बहुत सारी पुरानी किताबें थीं जिन्हें बच्चे नहीं पढ़ते थे। उन्हें बाहर के लाइब्रेरी की नई और रंग-बिरंगी किताबें ही पसंद आती थीं। एक दिन स्कूल ने पुरानी किताबों को पुनः सजाकर नई तरह से पेश किया, और बच्चों ने देखा कि उनमें कितनी ज्ञानवर्धक कहानियाँ और लेख थे। तब उन्हें समझ में आया कि "घर की मुर्गी दाल बराबर" कहावत के कारण वे अनमोल किताबों की कद्र नहीं कर रहे थे।
इन सभी वाक्य प्रयोगों से यह संदेश मिलता है कि हमें अपनी चीजों और अपनों की कद्र करनी चाहिए और यह सोच बदलनी चाहिए कि जो चीज़ हमारे पास है, वह कमतर है।
दोस्तों, हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । आप अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।
आपका दिन शुभ हो ।
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