जिसकी लाठी उसकी भैंस मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Jisaki Lathi Usaki Bhains Meaning In Hindi

 

Jisaki Lathi Usaki Bhains Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / जिसकी लाठी उसकी भैंस मुहावरे का अर्थ क्या होता है?


 
जिसकी लाठी उसकी भैंस मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Jisaki Lathi Usaki Bhains Meaning In Hindi
Jiski Lathi Uski Bhains





मुहावरा- “जिसकी लाठी उसकी भैंस” ।


( Muhavara- Jisaki Lathi Usaki Bhains )



अर्थ- ताकतवर व्यक्ति का ही अधिकार होता है / शक्तिशाली व्यक्ति की ही चलती है / बलवान व्यक्ति की ही जीत होती है ।


( Arth/Meaning in Hindi- Taqatwar Vyakti Ka Hi Adhikar Hota Hai / Shaktishali Vyakti Ki Hi Chalati Hai / Balwan Vyakti Ki Hi Jit Hoti Hai )




“जिसकी लाठी उसकी भैंस” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


“जिसकी लाठी उसकी भैंस” यह एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जिसका अर्थ है कि ताकतवर व्यक्ति का ही अधिकार और प्रभुत्व होता है, चाहे वह अधिकार न्यायपूर्ण हो या न हो। इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति अपनी शक्ति, संसाधन या सामर्थ्य का दुरुपयोग करके किसी चीज़ पर अपना अधिकार जमाता है, भले ही वह अधिकार नैतिक या कानूनी रूप से सही न हो। इस मुहावरे के माध्यम से समाज की उस वास्तविकता को दर्शाया जाता है जिसमें शक्तिशाली व्यक्ति ही अपने हितों को साधने में सफल होता है।


मुहावरे का शाब्दिक अर्थ


अगर हम इस मुहावरे के शाब्दिक अर्थ पर ध्यान दें, तो यह कहता है कि जिसके पास लाठी (ताकत या बल) होगी, भैंस (संपत्ति या अधिकार) भी उसी की होगी। यहां "लाठी" का तात्पर्य शक्ति, बल या प्रभुत्व से है, जबकि "भैंस" का अर्थ संपत्ति, अधिकार या वस्त्र से है। यह सूक्ति इस बात की ओर संकेत करती है कि जो व्यक्ति ताकतवर होता है, वही चीज़ों पर अधिकार जमाने में सफल होता है।


मुहावरे का व्यावहारिक अर्थ


इस मुहावरे का वास्तविक और गहरा अर्थ तब सामने आता है जब इसे समाज में मौजूद विभिन्न परिस्थितियों के संदर्भ में देखा जाता है। आज के समय में यह देखा जा सकता है कि ताकतवर लोग अपने संसाधनों और संबंधों का इस्तेमाल करके न्याय, अधिकार या संपत्ति पर अपना एकाधिकार बना लेते हैं। इसका यह भी तात्पर्य है कि कमजोर और साधनहीन लोगों के पास न तो ताकत होती है और न ही साधन, जिससे वे अपनी बात या अधिकारों की रक्षा कर सकें। परिणामस्वरूप, वे अन्याय का शिकार हो जाते हैं।


मुहावरे का सामाजिक संदर्भ


"जिसकी लाठी उसकी भैंस" का उपयोग समाज में उन परिस्थितियों को दर्शाने के लिए किया जाता है, जहां शक्ति और बल का अनुचित उपयोग होता है। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति अपनी ताकत, पैसे या सामाजिक प्रभाव का इस्तेमाल करके किसी निर्दोष व्यक्ति के अधिकार छीनता है, तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। यह मुहावरा समाज के उस वर्गीय विभाजन की ओर भी इशारा करता है जहां गरीब और कमजोर लोग शक्तिशाली और संपन्न लोगों के सामने अपने अधिकारों की रक्षा नहीं कर पाते हैं।


ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ


इस मुहावरे की जड़ें भारतीय संस्कृति और इतिहास में गहरी हैं। प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में शक्ति और संपत्ति का विशेष महत्व रहा है। सामंती समाजों में सामंतों और जमींदारों के पास अपार ताकत और संपत्ति होती थी। वे अपनी शक्ति का उपयोग करके छोटे किसानों, मजदूरों और अन्य कमजोर वर्गों का शोषण करते थे। इस संदर्भ में, "जिसकी लाठी उसकी भैंस" जैसी कहावतें उस समय के सामाजिक ढांचे को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।


मुहावरे का वर्तमान परिप्रेक्ष्य


वर्तमान समय में भी यह मुहावरा पूरी तरह से प्रासंगिक है। आज के समाज में भी शक्ति और अधिकार का समान वितरण नहीं है। राजनीति, व्यवसाय, और सामाजिक संबंधों में ताकतवर लोग अक्सर अपने प्रभाव का दुरुपयोग करके अपनी इच्छा के अनुसार काम करवाते हैं। उदाहरण के तौर पर, राजनीति में बड़े नेता और उद्योगपति अपने पैसों और संपर्कों का उपयोग करके निर्णयों को अपने पक्ष में करवाते हैं। इसी तरह, अदालतों में भी शक्तिशाली लोग महंगे वकीलों का सहारा लेकर न्याय को मोड़ने की कोशिश करते हैं।


आज के आधुनिक युग में यह मुहावरा केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में भी देखा जा सकता है। बड़े और शक्तिशाली राष्ट्र अपने सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करके छोटे और कमजोर राष्ट्रों पर हावी हो जाते हैं। उनके पास आर्थिक संसाधन और राजनीतिक समर्थन होने के कारण वे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात को मनवाने में सफल होते हैं, जबकि कमजोर देशों की आवाज़ अक्सर दबा दी जाती है।


इस मुहावरे से मिलने वाली सीख


"जिसकी लाठी उसकी भैंस" मुहावरा हमें इस बात की ओर भी संकेत करता है कि समाज में शक्ति और न्याय का संतुलन बेहद जरूरी है। यह मुहावरा हमें सचेत करता है कि अगर समाज में शक्ति का अनुचित उपयोग होता रहा, तो कमजोर और गरीब लोगों के अधिकारों का हनन होता रहेगा। इसलिए, इस मुहावरे का अर्थ केवल एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक संदेश भी है। इसका संदेश है कि केवल ताकतवर होना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि ताकत का न्यायपूर्ण उपयोग भी उतना ही आवश्यक है।


यह मुहावरा उन स्थितियों में भी प्रासंगिक है जहां कानून और न्याय की व्यवस्था कमजोर होती है। जहां कानून का पालन सख्ती से नहीं किया जाता, वहां अक्सर ताकतवर लोग अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके कानून को तोड़ते हैं और अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह स्थिति समाज में अव्यवस्था और अन्याय को जन्म देती है, जिससे सामाजिक ताने-बाने को क्षति पहुंचती है।


निष्कर्ष


"जिसकी लाठी उसकी भैंस" मुहावरा समाज के उस कटु सत्य को उजागर करता है जिसमें ताकतवर और प्रभावशाली लोग ही अपनी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम होते हैं। यह मुहावरा केवल व्यंग्यात्मक नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक असमानता, अन्याय और शोषण की गहरी चिंता भी निहित है। इसका यह संदेश है कि ताकत का सही उपयोग करना ही महत्वपूर्ण है और समाज में न्याय और समानता को बनाए रखना प्रत्येक व्यक्ति और संस्था का कर्तव्य है।


इसलिए, यह मुहावरा हमें ताकत और शक्ति के अनुचित उपयोग से सावधान करता है और समाज में न्याय, समानता और पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।



“जिसकी लाठी उसकी भैंस” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Jiski Lathi Uski Bhains Muhavare Ka Vakya Prayog.  


“जिसकी लाठी उसकी भैंस” इस मुहावरे का अर्थ निचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से है-


1. गाँव में फैसला वर्मा जी के पक्ष में हुआ क्योंकि जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली स्थिति थी।


2. अदालत में भी अक्सर जिसकी लाठी उसकी भैंस का खेल चलता है, जहाँ ताकतवर लोग जीतते हैं।


3. राजनीतिज्ञ अपने पैसे और पावर से काम करवा लेते हैं, आखिर जिसकी लाठी उसकी भैंस।


4. व्यापार में भी बड़े उद्योगपति छोटे व्यापारियों को दबा लेते हैं, जैसे जिसकी लाठी उसकी भैंस।


5. पुराने समय में जमींदारों का राज था, वहाँ पूरी तरह से जिसकी लाठी उसकी भैंस का ही कानून चलता था।


6. स्कूल में भी शरारती बच्चों का दबदबा होता है, जिसकी लाठी उसकी भैंस यहाँ भी लागू होता है।


7. जब कानूनी ताकत कमजोर हो, तब जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली स्थिति ज्यादा देखने को मिलती है।


8. परिवार के बड़े सदस्य अपनी बात मनवाते हैं, अक्सर जिसकी लाठी उसकी भैंस का ही नियम लागू होता है।


9. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी जिसकी लाठी उसकी भैंस का सिद्धांत देखने को मिलता है, जहां ताकतवर देश अपने हित साधते हैं।


10. कुछ ऑफिसों में भी बॉस की बात ही अंतिम होती है, क्योंकि वहाँ भी जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली स्थिति होती है।



"जिसकी लाठी उसकी भैंस" मुहावरे पर एक छोटी सी कहानी-


गाँव का जीवन सरल था, परंतु कभी-कभी छोटे-छोटे विवाद बड़े झगड़ों का रूप ले लेते थे। ऐसे ही एक दिन गाँव के दो किसान, मोहन और श्याम, के बीच झगड़ा हो गया। मोहन के पास एक सुंदर भैंस थी, जो हमेशा दूध से भरी रहती थी। श्याम को भैंस की खूबियां देखकर लालच हुआ और उसने तय कर लिया कि वह इसे किसी भी तरह से हासिल करेगा।


एक सुबह, जब मोहन अपने खेत पर काम करने गया, तो श्याम चुपके से उसकी भैंस खोलकर अपने घर ले गया। जब मोहन लौटकर आया, तो उसने अपनी भैंस को गायब पाया। वह इधर-उधर भटकने लगा और अंत में श्याम के घर पहुंचा। वहाँ उसने अपनी भैंस को देखा।


मोहन ने श्याम से कहा, "यह मेरी भैंस है, इसे वापस करो।"

श्याम ने जवाब दिया, "कैसे साबित करोगे कि यह तुम्हारी है? अब यह मेरी भैंस है। मैंने इसे जंगल से पकड़ा है।"


मोहन ने पंचायत में शिकायत की। पंचायत ने दोनों की बात सुनी और कहा, "जो इस भैंस की पहचान साबित करेगा, वही इसका मालिक होगा।"


श्याम ने अपनी ताकत और दबदबे का इस्तेमाल करते हुए गाँव के बड़े-बुजुर्गों को अपनी तरफ कर लिया। पंचायत ने कहा कि भैंस अब श्याम की है, क्योंकि मोहन के पास कोई ठोस सबूत नहीं है।


मोहन उदास होकर घर लौट आया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने गाँव के लोगों से मदद मांगी। धीरे-धीरे सच्चाई सबके सामने आने लगी। भैंस को पहचानने वाले कई लोग सामने आए और उन्होंने गवाही दी कि वह भैंस मोहन की ही है।


श्याम को जब लगा कि उसका झूठ पकड़ा जा सकता है, तो उसने डर के मारे अपनी बात बदल दी। लेकिन मोहन ने एक और चाल चली। उसने भैंस को उसके खास इशारे पर बुलाया, और भैंस दौड़कर उसके पास आ गई। यह देखकर पंचायत को मानना पड़ा कि भैंस वास्तव में मोहन की है।


इस घटना के बाद गाँव में चर्चा शुरू हो गई, "जिसकी लाठी, उसकी भैंस"। इसका मतलब सब समझ गए - ताकत और चालाकी से झूठ भले ही जीत जाए, पर सच और हिम्मत हमेशा जीतते हैं। मोहन ने न केवल अपनी भैंस वापस पाई, बल्कि गाँव वालों का भरोसा भी जीत लिया।



दोस्तों, हम आशा करते हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।




आपका दिन शुभ हो । 😊




धन्यवाद । 🙏




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