नौ दिन चले अढ़ाई कोस मुहावरे का अर्थ और व्याख्या / Nau Din Chale Adhai Kos Meaning In Hindi
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Nau Din Chale Adhai Kos Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / नौ दिन चले अढ़ाई कोस मुहावरे का अर्थ क्या होता है?
Nau Din Chale Adhai Kos |
मुहावरा- “नौ दिन चले अढ़ाई कोस”।
( Muhavara- Nau Din Chale Adhai Kos )
अर्थ- धीमी रफ्तार से कार्य करना / अत्यधिक सुस्त होना / किसी कार्य को अधिक समय तक करना ।
( Arth/Meaning in Hindi- Dhimi Raftaar Se Karya Karna / Atyadhik Sust Hona / Kisi Karya Ko Adhik Samay Tak Karna )
"नौ दिन चले अढ़ाई कोस” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
"नौ दिन चले अढ़ाई कोस" यह एक हिंदी भाषा में प्रयोग किए जाने वाला मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ होता है कि किसी कार्य में अत्यधिक समय लगाना लेकिन उस समय में बहुत ही कम प्रगति करना। यह मुहावरा उन स्थितियों पर लागू होता है, जब कोई काम बहुत धीरे-धीरे हो रहा हो और परिणाम भी बहुत कम हो।
इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति, संस्था, या प्रक्रिया में अधिक समय और प्रयास खर्च किए जाते हैं, लेकिन उनकी गति या परिणाम उतने अच्छे नहीं होते जितनी अपेक्षा की जाती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी छोटे से काम में बहुत समय लग रहा है और उसके बावजूद भी कोई खास प्रगति नहीं हो रही है, तो इसे "नौ दिन चले अढ़ाई कोस" कहकर उसकी धीमी गति पर कटाक्ष किया जा सकता है।
इस मुहावरे का उपयोग खासतौर पर भारतीय समाज में करते हुए देखा जाता है, जहां समय पर काम पूरा करने की अपेक्षा की जाती है। इसका उपयोग विभिन्न स्थितियों में किया जा सकता है, जैसे सरकारी कार्यों में धीमी प्रगति, परियोजनाओं में देरी, या किसी व्यक्ति की धीमी कार्यशैली पर व्यंग्य करने के लिए।
जैसे-
1. सरकारी कार्यालय में छोटे से प्रमाण पत्र को बनवाने में नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली स्थिति हो गई है।
2. राम का पढ़ाई का तरीका देखकर लगता है जैसे वह नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली गति से चल रहा है।
3. इस प्रोजेक्ट की प्रगति इतनी धीमी है कि इसे देखकर "नौ दिन चले अढ़ाई कोस" मुहावरा याद आ जाता है।
4. मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दे दी थी, लेकिन तैयारी में नौ दिन चले अढ़ाई कोस की रफ्तार रही।
5. वह इतना धीरे काम करता है कि हर बार उसकी हालत "नौ दिन चले अढ़ाई कोस" जैसी ही लगती है।
6. सड़क मरम्मत का काम शुरू हुआ था, पर इसे पूरा होने में नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली देरी हो रही है।
7. मोहन ने वजन घटाने की ठानी, लेकिन उसकी कोशिशें नौ दिन चले अढ़ाई कोस की रफ्तार से ही चल रही हैं।
8. उन्होंने नई कंपनी तो शुरू कर ली, लेकिन उसकी सफलता का हाल "नौ दिन चले अढ़ाई कोस" जैसा ही है।
9. बारिश के बाद सड़कें सुधारने का काम शुरू हुआ, लेकिन उसकी गति देखकर "नौ दिन चले अढ़ाई कोस" याद आता है।
10. शहर में मेट्रो का काम वर्षों से चल रहा है, पर प्रगति नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली ही है।
मुहावरा प्रेमियों, “नौ दिन चले अढ़ाई कोस” मुहावरों का हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। वे हमारे विचारों को प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करते हैं और भाषा में जान डालते हैं। "नौ दिन चले अढ़ाई कोस" भी एक प्रसिद्ध मुहावरा है, जिसका प्रयोग अक्सर धीमी या बेकार प्रगति को दर्शाने के लिए किया जाता है। इस मुहावरे का अर्थ यह है कि यदि किसी कार्य को करने में बहुत अधिक समय लग जाए और परिणाम में बहुत कम प्रगति हो, तो इसे "नौ दिन चले अढ़ाई कोस" कहा जाता है।
"नौ दिन चले अढ़ाई कोस" का शाब्दिक अर्थ है कि कोई व्यक्ति नौ दिनों तक चलता रहा लेकिन उसने केवल अढ़ाई कोस (यानी लगभग पाँच किलोमीटर) की दूरी तय की। यह प्रतीकात्मक रूप से बहुत धीमी गति या अत्यधिक समय लेने की स्थिति को दर्शाता है। इसका अर्थ केवल शारीरिक दूरी में ही नहीं, बल्कि मानसिक और आर्थिक कार्यों में भी होता है।
उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति को एक छोटा-सा काम सौंपा गया है, लेकिन वह व्यक्ति उसे इतनी धीमी गति से कर रहा है कि काम का अंत ही नहीं दिखता, तो उसे यह कहकर कटाक्ष किया जा सकता है कि "नौ दिन चले अढ़ाई कोस"।
मुहावरे का सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्व
भारतीय समाज में, जहां समय की मूल्य को अधिक महत्व दिया जाता है, वहां इस मुहावरे का विशेष महत्व है। लोग समय पर कार्य समाप्त करने और सफलता हासिल करने की सोच रखते हैं। जब कोई व्यक्ति या संस्था किसी छोटे से काम में ही बहुत अधिक समय लगाती है, तो यह समाज में अव्यवस्था और निष्क्रियता का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में इस मुहावरे का प्रयोग लोग उस स्थिति को व्यंग्यात्मक तरीके से दर्शाने के लिए करते हैं।
मुहावरे का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे-
1. सरकारी कार्य: भारत में अक्सर सरकारी कार्यों की गति को लेकर लोग शिकायत करते हैं। जब किसी छोटे-से कार्य के लिए भी महीनों या सालों लग जाते हैं, तब लोग इस मुहावरे का प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, किसी सरकारी भवन का निर्माण कार्य चल रहा है और वह निर्धारित समय पर पूरा नहीं हो रहा, तो इसे "नौ दिन चले अढ़ाई कोस" कहकर उसके धीमेपन पर कटाक्ष किया जा सकता है।
2. छात्र जीवन में: छात्रों में अक्सर देखा जाता है कि वे किसी असाइनमेंट या प्रोजेक्ट को समय पर पूरा नहीं करते। अगर किसी छात्र को केवल एक सप्ताह का कार्य दिया गया हो और वह महीनों तक भी उसे पूरा नहीं कर पा रहा हो, तो इस मुहावरे का उपयोग किया जा सकता है।
3. प्रौद्योगिकी एवं व्यापार: व्यापारिक और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भी इस मुहावरे का उपयोग होता है, जब कोई प्रोजेक्ट या उत्पाद समय पर पूरा नहीं होता।
मुहावरे का व्यावहारिक उदाहरण
कल्पना कीजिए कि किसी कंपनी ने एक नया सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट की पूरी योजना 6 महीने में इसे लॉन्च करने की थी। लेकिन कंपनी की कार्यप्रणाली इतनी धीमी थी कि छह महीने बाद भी यह प्रोजेक्ट अधूरा ही था। इस स्थिति में कोई व्यक्ति यह कह सकता है कि "नौ दिन चले अढ़ाई कोस", अर्थात् परियोजना की प्रगति इतनी धीमी थी कि समय निकल जाने के बावजूद काम बहुत कम हुआ।
"नौ दिन चले अढ़ाई कोस" मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Nau Din Chale Adhai Kos Muhavare Ka Vakya Prayog.
"नौ दिन चले अढ़ाई कोस” मुहावरे का अर्थ निचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से है-
वाक्य प्रयोग- 1.
रवि को अपने जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत थी। उसने सोचा कि सरकारी दफ्तर जाकर काम जल्दी हो जाएगा। पर हर बार जब वह जाता, तो कोई न कोई कागज अधूरा बता दिया जाता। इस तरह दिन गुजरते गए और काम अधूरा ही रहा। तीन महीने बाद भी काम पूरा नहीं हुआ। रवि ने घर आकर माँ से कहा, "यह तो नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाला काम है।" माँ मुस्कुराते हुए बोलीं, "बेटा, सरकारी दफ्तर में यही हाल होता है।"
वाक्य प्रयोग- 2.
अंजलि ने परीक्षा से एक महीने पहले पढ़ाई शुरू की। वह रोज़ किताबें खोलती, लेकिन एक ही पेज पढ़ने में उसे घंटे लग जाते। कभी वह चाय बनाने चली जाती तो कभी फोन पर बात करने लगती। परीक्षा करीब आ गई, पर तैयारी ना के बराबर हुई। आखिरकार, अंजलि ने कहा, "मेरी पढ़ाई का हाल तो नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसा है।" उसे इस बात का एहसास हो गया कि समय बर्बाद करने का नतीजा अच्छा नहीं होता।
वाक्य प्रयोग- 3.
एक गांव में रामू नाम का किसान था। उसने खेत के पास एक कुआं खुदवाने का फैसला किया ताकि सिंचाई में आसानी हो। रामू खुदाई का काम रोज़ शुरू करता, लेकिन किसी न किसी कारणवश काम रोक देता। एक दिन बीमार पड़ जाता, तो दूसरे दिन कोई त्योहार आ जाता। कई हफ्तों बाद भी कुआं बस थोड़ा सा ही खोदा गया था। गांव वालों ने उसे देखकर कहा, "रामू, ये तो नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली बात हो गई। कब तक चलेगा ये काम?"
वाक्य प्रयोग- 4.
मोहन ने कपड़े की दुकान खोलने का सोचा। उसने दुकान तो खोल ली, पर उसे व्यवस्थित करने में बहुत समय लगा दिया। कभी वह माल लाने में देर करता, तो कभी सजावट में। महीनों बीत गए, लेकिन ग्राहक कम ही आते थे। एक दोस्त ने उससे मजाक में कहा, "मोहन, तुम्हारा काम तो नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाला हो गया। जितनी मेहनत होनी चाहिए, वो तो कर नहीं रहे।" मोहन को समझ में आ गया कि उसे अपनी गति बढ़ानी होगी।
वाक्य प्रयोग- 5.
शहर में एक सड़क की हालत बहुत खराब हो गई थी, तो नगर निगम ने उसे ठीक करने का काम शुरू किया। पर ठेकेदार और मजदूर काम में सुस्ती बरत रहे थे। दिन में थोड़ा सा काम होता और फिर सब आराम करने बैठ जाते। इस वजह से महीनों बाद भी सड़क अधूरी ही थी। मोहल्ले के लोग परेशान होकर कहने लगे, "यह सड़क का काम तो नौ दिन चले अढ़ाई कोस बन चुका है। न जाने कब पूरा होगा।”
निष्कर्ष
"नौ दिन चले अढ़ाई कोस" मुहावरा भारतीय समाज में एक बहुत ही गहरा अर्थ रखता है। इसका प्रयोग किसी भी धीमे कार्य या निष्क्रियता पर कटाक्ष करने के लिए किया जा सकता है। यह मुहावरा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि समय के मूल्य को समझें और किसी भी कार्य को उचित समय में ही पूरा करें।
दोस्तों, हम आशा करते हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।
आपका दिन शुभ हो । 😊
धन्यवाद । 🙏
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