प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Pyase Ko Hi Kuen Ke Pas Jana Padta Hai Meaning In Hindi
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Pyase Ko Hi Kuen Ke Pas Jana Padta Hai Muhavare Ka Arth aur Vakya Prayog / प्यासा ही कुंए के पास जाता है मुहावरे का अर्थ क्या होता है?
Pyase Ko Hi Kuen Ke Pas Jana Padta Hai |
मुहावरा: "प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है"।
( Muhavara- Pyase Ko Hi Kuen Ke Pas Jana Padta Hai )
अर्थ- जरूरतमंद को ही मददगार के पास जाना पड़ता है / जिसे अपनी जरूरत पुरी करनी है उसी को दुसरे के पास जाना पड़ता है ।
( Arth/Meaning in Hindi- Jaruratmand Ko Hi Madadgar Ke Pas Jana Padta Hai / Jise Apani Jarurat Puri Karni Hai Usi Ko Dusre Ke Pas Jana Padta Hai )
"प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है” मुहावरे का अर्थ और व्याख्या इस प्रकार है-
"प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है” यह मुहावरा अत्यंत लोकप्रिय है और इसका तात्पर्य यह है कि जिस व्यक्ति को आवश्यकता होती है, उसे ही अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्रयास करना पड़ता है। कोई अन्य व्यक्ति बिना उसकी मेहनत या प्रयास के उसकी जरूरत को पूरा नहीं करेगा। सरल शब्दों में, अगर आपको कोई चीज़ चाहिए तो आपको ही उसके लिए पहल करनी होगी, क्योंकि दूसरों से उसकी उम्मीद करना व्यर्थ हो सकता है।
मनुष्य के जीवन में बहुत से ऐसे अवसर आते हैं जब उसे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खुद ही मेहनत करनी पड़ती है। उदाहरण के रूप में, अगर कोई व्यक्ति प्यासा है और पानी पीना चाहता है, तो उसे स्वयं कुंए तक जाकर पानी लेना पड़ेगा, न कि यह सोचना चाहिए कि कोई और उसे पानी लाकर देगा। इस मुहावरे का मूल उद्देश्य यह बताना है कि बिना प्रयास के कुछ भी प्राप्त नहीं होता और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वयं को श्रम करना पड़ता है।
यह मुहावरा हर क्षेत्र में लागू होता है, चाहे वह शिक्षा हो, नौकरी हो, व्यापार हो या व्यक्तिगत संबंध। सफलता की चाहत रखने वाले व्यक्ति को कठिन परिश्रम और समर्पण के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना पड़ता है। कोई अन्य व्यक्ति उसकी सफलता के लिए उतना प्रयास नहीं करेगा, जितना कि उसे स्वयं करना होगा।
उदाहरण के रूप में, एक विद्यार्थी जो अच्छे अंक लाना चाहता है, उसे खुद पढ़ाई करनी होगी, क्योंकि केवल शिक्षक की उम्मीद करने से अच्छे अंक नहीं आएंगे। इसी तरह, एक व्यापारी को अपने व्यापार में उन्नति के लिए खुद ही नई योजनाएं बनानी होंगी, न कि यह आशा करनी चाहिए कि उसके प्रतियोगी उसकी मदद करेंगे।
यह मुहावरा यह भी दर्शाता है कि मनुष्य को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए। जीवन में संघर्ष और मेहनत अनिवार्य हैं और जो लोग स्वयं मेहनत करते हैं, वे ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।
इस मुहावरे का उपयोग जीवन के कई पहलुओं में किया जा सकता है,
जैसे-
1. शिक्षा में: एक विद्यार्थी को अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए खुद मेहनत करनी पड़ती है। बिना प्रयास के कुछ भी संभव नहीं होता।
2. व्यवसाय में: व्यापार की उन्नति के लिए व्यापारी को खुद नई रणनीतियां और योजनाएं बनानी होती हैं।
3. रिश्तों में: एक अच्छे रिश्ते को बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों को समान रूप से प्रयास करना होता है। केवल एक व्यक्ति के प्रयास से रिश्ते नहीं टिकते।
4. स्वास्थ्य में: यदि कोई व्यक्ति स्वस्थ रहना चाहता है, तो उसे खुद अपने खानपान और दिनचर्या पर ध्यान देना होगा। कोई और उसकी जगह व्यायाम नहीं कर सकता।
5. कला या हुनर में: किसी भी कला या कौशल में निपुणता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को नियमित अभ्यास करना होगा। केवल प्रतिभा से ही काम नहीं चलता, मेहनत आवश्यक है।
इस मुहावरे की शिक्षा यह है कि जीवन में जो भी आपको चाहिए, उसे पाने के लिए आपको ही प्रयास करना होगा। आपके प्रयास ही आपको लक्ष्य तक पहुँचाएंगे।
"प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Pyase Ko Hi Kuen Ke Pas Jana Padta Hai Muhavare Ka Vakya Prayog.
"प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है” इस मुहावरे का अर्थ निचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से है-
वाक्य प्रयोग- 1.
शिक्षा की ओर कदम रवि एक साधारण विद्यार्थी था। वह अपने दोस्तों की तरह अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता था, लेकिन पढ़ाई में दिलचस्पी कम थी। परीक्षा नजदीक आई तो उसे एहसास हुआ कि बिना मेहनत किए सफलता पाना मुश्किल है। तब उसने तय किया कि वह नियमित पढ़ाई करेगा। रवि ने दिन-रात मेहनत की और आखिरकार अच्छे अंक प्राप्त किए। उसे समझ आ गया कि "प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है" यानी मेहनत के बिना कुछ हासिल नहीं होता।
वाक्य प्रयोग- 2.
व्यापार की चुनौती मोहन के पास एक छोटी सी दुकान थी, लेकिन वह व्यापार में बढ़ोतरी चाहता था। उसने सोचा कि कोई उसे मदद करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक दिन उसने समझा कि दूसरों पर निर्भर रहना गलत है। उसने नए आइडियाज पर काम किया, ग्राहकों से सीधा संपर्क बनाया और धीरे-धीरे उसका व्यापार बढ़ने लगा। मोहन को समझ आया कि अपनी सफलता के लिए खुद प्रयास करने की आवश्यकता होती है। यही "प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है" का मतलब था।
वाक्य प्रयोग- 3.
दोस्ती की पहल रीमा और नेहा में कुछ दिनों से दूरियां बढ़ गई थीं। रीमा चाहती थी कि नेहा पहले आकर बात करे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था। आखिरकार, रीमा ने पहल की और नेहा से बात की। दोनों ने अपने मतभेदों को सुलझाया और दोस्ती फिर से गहरी हो गई। रीमा ने सीखा कि अगर वह चाहती है कि संबंध अच्छे रहें, तो उसे खुद पहल करनी होगी। उसने समझा कि "प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है"।
वाक्य प्रयोग- 4.
स्वास्थ्य का महत्व राजेश हमेशा बीमार रहता था और डॉक्टर के पास जाने से कतराता था। उसकी हालत धीरे-धीरे खराब होने लगी। एक दिन उसके दोस्त ने उसे समझाया कि अगर वह स्वस्थ रहना चाहता है तो उसे खुद अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। राजेश ने डॉक्टर से सलाह ली, व्यायाम शुरू किया और अपनी दिनचर्या में बदलाव किया। अब वह पहले से कहीं ज्यादा स्वस्थ है। उसने समझा कि "प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है" यानी खुद कोशिश करना ही एकमात्र उपाय है।
वाक्य प्रयोग- 5.
सफलता की राह सुमित को गायक बनना था, लेकिन वह किसी मौके का इंतजार कर रहा था। उसकी एक दोस्त ने उसे बताया कि इंतजार करने से कुछ नहीं मिलेगा। सुमित ने खुद ही गाने की रिकॉर्डिंग शुरू की और सोशल मीडिया पर साझा की। धीरे-धीरे लोगों ने उसे पसंद करना शुरू किया और उसे एक बड़ा मौका मिला। सुमित ने महसूस किया कि अगर वह पहले ही प्रयास करता, तो सफलता जल्दी मिलती। "प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है" इस बात की गहराई उसने अब समझी।
दोस्तों, हम आशा करते हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।
आपका दिन शुभ हो । 😊
धन्यवाद । 🙏
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