बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Bandar Kya Jane Adrak Ka Swad Meaning In Hindi

 

Bandar Kya Jane Adrak Ka Swad Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद मुहावरे का अर्थ क्या होता है?


 

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Bandar Kya Jane Adrak Ka Swad Meaning In Hindi
Bandar Kya Jane Adrak Ka Swad



मुहावरा- “बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद” ।


( Muhavara- Bandar Kya Jane Adrak Ka Swad )



अर्थ- अयोग्य व्यक्ति अच्छी वस्तु के गुण नही समझ सकता / मूर्ख व्यक्ति गुणवान वस्तु की कीमत नही जानता / मूर्ख को गुण की परख न होना ।


( Arth/Meaning in Hindi- Ayogya Vyakti Achhi Vastu Ke Gun Nahi Samjh Sakta / Murkh Vyakti Gunvan Vastu Ki Kimat Nhi Janta / Murkh Ko Gun Ki Parakh Na Hona )




“बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


मुहावरे और कहावतें भारतीय साहित्य और भाषा की धरोहर हैं। ये हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को सरल, सुगम और रोचक ढंग से अभिव्यक्त करती हैं। ऐसी ही एक प्रसिद्ध कहावत है - "बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद"। इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि एक बंदर, जो सामान्यतः केवल साधारण फल खाता है, उसे अदरक के स्वाद या उसकी विशेषता का अंदाज़ा नहीं होता। यह कहावत असल में किसी ऐसे व्यक्ति पर लागू होती है जो किसी विशेष चीज़ या गुण का महत्व नहीं समझ सकता, क्योंकि वह उस स्तर की समझ या अनुभव नहीं रखता।


मुहावरे का अर्थ और भावार्थ


"बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद" का भावार्थ यह है कि जो व्यक्ति किसी खास चीज़ का महत्व या विशेषता नहीं समझ सकता, उसे उस चीज़ के गुण या उसकी उपयोगिता का सही अनुभव नहीं हो सकता। इस कहावत का अर्थ उस स्थिति को बताता है जब कोई व्यक्ति किसी विषय में योग्यता, ज्ञान, या रुचि के अभाव के कारण उस विषय के वास्तविक मूल्य को नहीं पहचान पाता।


उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति को कला में कोई रुचि नहीं है, तो उसे किसी चित्रकला या मूर्तिकला की महत्ता का पता नहीं चलेगा। इसी प्रकार, अगर किसी व्यक्ति को साहित्य में दिलचस्पी नहीं है, तो उसे किसी कवि की उत्कृष्ट रचना का महत्व समझ नहीं आएगा। ऐसे समय पर कहा जा सकता है - "बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।"


विस्तृत व्याख्या


यह कहावत यह बताती है कि समाज में हर व्यक्ति की समझ और रुचियां अलग होती हैं, और कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो विशेष गुणों या रुचियों का महत्व समझने में असमर्थ होते हैं। "बंदर" यहां उन लोगों के लिए रूपक है जो किसी विशेष क्षेत्र में अज्ञानता या अभिरुचि की कमी रखते हैं। वहीं, "अदरक" उस खास चीज़ या गुण का प्रतीक है, जिसे केवल वही व्यक्ति सराह सकता है जो उसकी गहराई और महत्व को समझने की क्षमता रखता है।


कई बार समाज में लोग अपनी-अपनी सीमित सोच के कारण किसी विशेष चीज़ की कदर नहीं करते। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति केवल आर्थिक लाभ को ही सफलता मानता है, तो उसे सामाजिक सेवा या कला के प्रति समर्पण का मूल्य समझ नहीं आएगा। ऐसे व्यक्ति पर यह कहावत एकदम सटीक बैठती है।


"बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद"  का सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ


इस कहावत का सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है। हमारे समाज में विभिन्न प्रकार की रुचियां, गुण और योग्यताएं पाई जाती हैं। हर व्यक्ति किसी न किसी क्षेत्र में विशेष होता है, परंतु जरूरी नहीं कि सभी लोग उस विशेषता का सम्मान या मूल्यांकन कर सकें। जब किसी व्यक्ति का किसी विषय में ज्ञान नहीं होता, तो वह उस विषय के गुणों का सही मूल्यांकन नहीं कर पाता। कहावत "बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद" इसी तथ्य को सरल ढंग से प्रस्तुत करती है।


"बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद" कहावत का उपयोग कहां और कैसे होता है?


इस कहावत का उपयोग तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी विषय, वस्तु, या व्यक्ति के बारे में अपनी अज्ञानता या उदासीनता प्रदर्शित करता है। यह कहावत प्रायः व्यंग्य के रूप में प्रयोग होती है और इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति की समझ या रुचि के अभाव पर ध्यान आकर्षित करना होता है। उदाहरण के तौर पर:


1. अगर कोई व्यक्ति संगीत के महत्व को न समझते हुए उसे "समय की बर्बादी" कहे, तो यह कहावत उसके लिए उपयुक्त होगी।


2. यदि कोई व्यक्ति साहित्यिक कृतियों को बेकार समझता है और उन्हें पढ़ने से कतराता है, तो उस पर भी यह कहावत लागू होगी।


इस प्रकार, यह कहावत विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्तियों की समझ की सीमा को इंगित करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है।



“बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Bandar Kya Jane Adrak Ka Swad Muhavare Ka Vakya Prayog. 


"बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद" मुहावरे के 10 वाक्य प्रयोग दिए गए हैं:


1. रितेश को साहित्य में कोई रुचि नहीं है, उसे प्रेमचंद की कहानियों का क्या महत्व समझ आएगा, बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।


2. राधिका को संगीत का शौक नहीं है, इसलिए वह सुर-ताल की गहराई को नहीं समझ सकती। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।


3. नवीन को चित्रकला की कोई जानकारी नहीं है, वह भला पेंटिंग्स की खूबसूरती को कैसे समझेगा। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।


4. अमित को समाजसेवा का महत्व नहीं पता, इसलिए वह दूसरों की मदद को समय की बर्बादी मानता है। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।


5. संजय को विज्ञान में रुचि नहीं है, इसलिए वह नई खोजों का महत्व नहीं समझ पाता। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।


6. किसी फिल्म के पीछे की कला और मेहनत को न समझने वाले को कैसे समझाया जाए कि यह भी एक महान कला है। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।


7. विशाल को किताबों से प्यार नहीं है, इसलिए वह अच्छी पुस्तकों के महत्व को नहीं समझता। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।


8. जो लोग कविता की गहराई नहीं समझते, उनके लिए कविता महज शब्दों का खेल है। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।


9. प्रकृति की सुंदरता का अनुभव न कर पाने वाले व्यक्ति को पहाड़ों और जंगलों की सुंदरता का महत्व क्या समझ आएगा। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।


10. सुरेश को विदेशी भाषाओं का ज्ञान नहीं है, इसलिए उसे किसी भाषा की बारीकियों का महत्व समझ में नहीं आता। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।


“बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद” मुहावरे पर दो छोटी कहानियाँ-



कहानी 1: कला की कद्र


एक गाँव में रामू नाम का एक किसान रहता था। उसकी बेटी सुमन को चित्रकला का बहुत शौक था। वह दिन-रात अपने चित्रों में नयापन लाने के लिए मेहनत करती थी। एक दिन उसने एक बेहद सुंदर चित्र बनाया, जो किसी प्रसिद्ध चित्रकार के स्तर का था। वह अपने पिता के पास गई और दिखाते हुए कहा, "पिताजी, देखिए, मैंने कैसा चित्र बनाया है।"


रामू ने चित्र देखा और बेमन से कहा, "अरे, ये तो सिर्फ कागज पर रंग-बिरंगे धब्बे हैं। इससे अच्छा तो खेत में जाकर काम करो। ये चित्र-वित्र बनाना समय की बर्बादी है।"


सुमन को दुख हुआ कि उसके पिता उसकी कला का महत्व नहीं समझ पाए। गाँव के एक शिक्षक ने यह देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "रामू, बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। सुमन में एक महान कलाकार बनने की क्षमता है। उसे प्रोत्साहित करो, वह एक दिन इस कला में नाम कमाएगी।"


समय बीता और सुमन की कला ने उसे दूर-दूर तक प्रसिद्ध कर दिया। उस दिन रामू को अपनी बेटी की कला का महत्व समझ आया।



कहानी 2: संगीत की समझ


एक बार एक शहर में एक प्रसिद्ध संगीतकार, पंडित हरिप्रसाद का संगीत कार्यक्रम आयोजित हुआ। गाँव का मोहन नाम का एक युवक, जो केवल शोर-शराबे वाले गीतों का शौकीन था, भी अपने दोस्तों के कहने पर कार्यक्रम में गया। पंडित हरिप्रसाद ने अपनी बांसुरी पर बहुत मधुर धुनें बजाईं। वहाँ मौजूद सभी लोग मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे थे, पर मोहन को यह सब बोरिंग और धीमा लग रहा था।


कार्यक्रम के बाद, मोहन ने अपने दोस्तों से कहा, "यह तो बहुत बोरिंग था, मुझे तो इसमें कुछ खास नहीं लगा।"


उसके एक दोस्त ने मुस्कुराते हुए कहा, "मोहन, बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। यह संगीत उन लोगों के लिए है जो उसकी गहराई समझते हैं।"


इस बात पर मोहन को अहसास हुआ कि उसे संगीत की सच्ची परख नहीं है और शायद इस कारण वह इसके सौंदर्य का अनुभव नहीं कर पाया।



निष्कर्ष

"बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद" एक ऐसी कहावत है जो हमारे समाज में कई परिस्थितियों पर सटीक बैठती है। यह कहावत हमें यह सिखाती है कि प्रत्येक व्यक्ति की समझ और पसंद अलग होती है, और यह जरूरी नहीं कि सभी लोग हर चीज़ का मूल्य समझें।


दोस्तों, हम आशा करते हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।


आपका दिन शुभ हो । 😊




धन्यवाद । 🙏




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