"सावन हरे न भादों सूखे" मुहावरे का अर्थ और व्याख्या / Saavan Hare Na Bhado Sukhe Meaning In Hindi
Sawan Hare Na Bhado Sukhe Muhavare Ka Arth Aur Vyakhya / सावन हरे ना भादों सूखे मुहावरे का अर्थ क्या होता होता है?
मुहावरा- “सावन हरे ना भादों सूखे” ।
( Muhavara- Savan Hare Na Bhado Sukhe )
अर्थ- सदा एक समान रहना / हमेशा एक ही स्तिथि में रहना / सदा एक ही दसा ।
( Arth/Meaning In Hindi- Sada Ek Saman Rahna / Hamesha Ek Hi Sthiti Me Rahna / Sada Ek Hi Dasa )
“सावन हरे ना भादों सूखे” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
“सावन हरे ना भादों सूखे” हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाला एक महत्वपूर्ण व चर्चित मुहावरा है । यह मुहावरा उन व्यक्तियों, परिस्थितियों या चीज़ों के लिए प्रयोग किया जाता है जिन पर किसी भी प्रकार की स्थिति या बदलाव का प्रभाव नहीं पड़ता। "सावन" और "भादों" वर्षा ऋतु के दो महत्वपूर्ण महीने हैं। सावन में हरीतिमा और भादों में थोड़ी शुष्कता होती है। इस मुहावरे में यह दिखाया गया है कि चाहे मौसम बदल जाए, परिस्थिति अनुकूल या प्रतिकूल हो, उसका किसी विशेष चीज़ या व्यक्ति पर कोई असर नहीं पड़ता।
यह मुहावरा निष्क्रियता, असंवेदनशीलता और स्थिरता को दर्शाता है।
उदाहरण के तौर पर:
एक ऐसे व्यक्ति पर जो न मेहनत करता है और न किसी सलाह से प्रभावित होता है, कहा जा सकता है कि "इस पर सावन हरे न भादों सूखे।"
इसके अलावा, यह उन स्थितियों को भी व्यक्त करता है जहां कोई बदलाव संभव नहीं है, चाहे कितनी भी कोशिश की जाए।
संदेश:
यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि यदि हम अपनी सोच या व्यवहार में लचीलापन नहीं लाते, तो कोई भी बाहरी परिवर्तन हमें लाभ नहीं पहुंचा सकता। इसलिए, हमें परिस्थितियों के अनुसार बदलने और विकासशील होने का प्रयास करना चाहिए।
मुहावरा: "सावन हरे न भादों सूखे" का अलग अलग संदर्भों में व्याख्या-
इस मुहावरे का अर्थ है कि किसी पर कोई भी परिस्थिति, स्थिति, या बदलाव का असर नहीं पड़ता। यह विभिन्न संदर्भों में अलग-अलग अर्थों और व्याख्याओं के साथ प्रयोग किया जा सकता है।
1. व्यक्तिगत संदर्भ:
यह उन व्यक्तियों के लिए कहा जाता है जो परिश्रम, सलाह, या परिस्थिति का प्रभाव नहीं लेते।
उदाहरण:
राम को कितनी भी सलाह दी जाए, वह अपने आलस्य को नहीं छोड़ता। उस पर "सावन हरे न भादों सूखे" लागू होता है।
2. सामाजिक संदर्भ:
समाज में ऐसे लोग या वर्ग जो बदलाव या प्रगति के प्रति उदासीन रहते हैं, उनके लिए यह मुहावरा उपयुक्त है।
उदाहरण:
आधुनिक तकनीक के इस दौर में भी यदि कोई पुरानी सोच से बाहर नहीं आता, तो यह कहा जाएगा कि "इस समाज पर सावन हरे न भादों सूखे।"
3. आर्थिक संदर्भ:
किसी व्यक्ति या क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में सुधार के प्रयासों का असर न हो, तो इसे इस मुहावरे से जोड़ा जा सकता है।
उदाहरण:
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएँ शुरू कीं, लेकिन वहाँ के लोग अपनी पुरानी आदतों से बाहर नहीं आए। इस पर कहा जा सकता है, "सावन हरे न भादों सूखे।"
4. शैक्षिक संदर्भ:
ऐसे छात्रों पर लागू होता है जो शिक्षा के प्रति उदासीन रहते हैं।
उदाहरण:
शिक्षक कितनी भी मेहनत करें, कुछ छात्रों पर पढ़ाई का असर नहीं होता। उन पर यह मुहावरा सटीक बैठता है।
5. प्राकृतिक संदर्भ:
यह मुहावरा उन जगहों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है जहां मौसम या प्रकृति का प्रभाव नहीं पड़ता।
उदाहरण:
रेगिस्तान में चाहे जितनी बारिश हो, वहां की भूमि पर "सावन हरे न भादों सूखे" का असर दिखता है।
6. मानसिकता का संदर्भ:
यह उन लोगों की मानसिकता पर लागू होता है जो किसी भी प्रेरणा, निंदा, या प्रशंसा से प्रभावित नहीं होते।
उदाहरण:
श्याम को कोई सफलता मिले या असफलता, उसकी मानसिकता पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वह इस मुहावरे का सटीक उदाहरण है।
निष्कर्ष:
"सावन हरे न भादों सूखे" एक गहन मुहावरा है, जो विभिन्न संदर्भों में स्थिरता, उदासीनता, और निष्क्रियता को व्यक्त करता है।
“सावन हरे ना भादों सूखे” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Savan Hare Na Bhado Sukhe Muhavare Ka Vakya Prayog.
“सावन हरे ना भादों सूखे” इस मुहावरे का अर्थ निचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगो के माध्यम से समझ सकते है, जो कि इस प्रकार से है-
1. मेहनत और प्रेरणा का राम पर कोई असर नहीं होता, सच में उस पर "सावन हरे न भादों सूखे" चरितार्थ होता है।
2. गाँव में कितनी भी योजनाएँ लागू हो जाएँ, लेकिन लोग अपनी पुरानी आदतें नहीं छोड़ते, "सावन हरे न भादों सूखे।"
3. कुछ छात्र ऐसे होते हैं, जो कितनी भी पढ़ाई करवाने पर भी सुधार नहीं करते, उन पर "सावन हरे न भादों सूखे" कहावत सटीक बैठती है।
4. कमल के लिए चाहे कितने भी मौके आएं, वह अपनी लापरवाही के कारण कभी उनका लाभ नहीं उठा पाता, जैसे "सावन हरे न भादों सूखे।"
5. रेगिस्तान की भूमि पर कितना भी पानी डालो, वहां "सावन हरे न भादों सूखे" की स्थिति बनी रहती है।
6. रामलाल को कोई बीमारी हो या आराम का समय, वह हमेशा अपनी एक ही दिनचर्या में रहता है, मानो "सावन हरे न भादों सूखे।"
7. नेताओं की कितनी भी आलोचना हो जाए, लेकिन उनके काम करने के तरीकों पर कोई फर्क नहीं पड़ता, यही तो "सावन हरे न भादों सूखे" है।
8. छोटे बच्चों पर कितनी भी डांट-फटकार लगाओ, वे अपनी शरारतें नहीं छोड़ते, "सावन हरे न भादों सूखे।"
9. मौसम चाहे कैसा भी हो, हिमालय की ऊँचाइयों पर "सावन हरे न भादों सूखे" की स्थिति हमेशा बनी रहती है।
10. सुधा के परिवार में कितना भी प्यार या गुस्सा दिखाया जाए, वह अपनी आदतों में कोई बदलाव नहीं करती, "सावन हरे न भादों सूखे।”
Comments
Post a Comment