“मुट्ठी गरम करना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Mutthi Garam Karna Meaning In Hindi
Mutthi Garam Karna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / मुट्ठी गरम करना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?
मुहावरा- “मुट्ठी गरम करना”।
( Muhavara- Mutthi Garam Karna )
अर्थ- रिश्वत देना / घूस देना / लालच देना / कोई वस्तु देकर अपना काम निकलवाना ।
( Arth/Meaning in Hindi- Rishwat Dena / Ghoos Dena / Koi Vastu Dekar Apna Kam Nikalwana )
“मुट्ठी गरम करना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
परिचय
हिंदी भाषा में अनेक मुहावरे और कहावतें प्रचलित हैं, जो भाषा को अधिक प्रभावी और अभिव्यक्तिपूर्ण बनाते हैं। इन मुहावरों के माध्यम से हम कम शब्दों में गहरी बात कह सकते हैं। ऐसा ही एक लोकप्रिय मुहावरा है – "मुट्ठी गरम करना"। इस मुहावरे का प्रयोग अक्सर रिश्वतखोरी और अनुचित लाभ प्राप्त करने की प्रवृत्ति को दर्शाने के लिए किया जाता है। इस लेख में हम इस मुहावरे के अर्थ, व्युत्पत्ति, उपयोग, सामाजिक प्रभाव और साहित्यिक संदर्भों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
मुहावरे का अर्थ
"मुट्ठी गरम करना" का शाब्दिक अर्थ होता है किसी व्यक्ति को धन देकर उसका पक्षपात करवाना या उससे अपने हित में कार्य करवाना। आम बोलचाल की भाषा में इसे रिश्वत देना या लालच देकर काम निकलवाना कहा जाता है।
उदाहरण:
1. यदि कोई व्यक्ति पुलिस अधिकारी को पैसे देकर अपने खिलाफ दर्ज मामला रफा-दफा करवाता है, तो कहा जाएगा –
"उसने इंस्पेक्टर की मुट्ठी गरम कर दी, इसलिए मामला खत्म हो गया।"
2. किसी सरकारी दफ्तर में काम जल्दी करवाने के लिए कर्मचारी को पैसे देने पर –
"बाबू की मुट्ठी गरम कर दो, तभी फाइल आगे बढ़ेगी।"
मुहावरे की उत्पत्ति
इस मुहावरे की उत्पत्ति का सीधा संबंध रिश्वतखोरी की परंपरा से है, जो समाज में प्राचीन काल से चली आ रही है। प्राचीन भारतीय राजतंत्र से लेकर आधुनिक लोकतंत्र तक, सत्ता और प्रशासन से जुड़े लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए धन का प्रयोग किया जाता रहा है।
व्युत्पत्ति के पीछे तर्क:
जब कोई व्यक्ति रिश्वत लेता है, तो वह अक्सर उसे अपनी मुट्ठी में छिपा लेता है।
रिश्वत लेने के बाद, व्यक्ति का रवैया बदल जाता है, जिससे प्रतीत होता है कि उसकी "मुट्ठी गरम" हो गई है।
यह क्रिया विशेष रूप से नौकरशाही, राजनीति और व्यापार में प्रचलित रही है।
मुहावरे का प्रयोग और सामाजिक परिप्रेक्ष्य
"मुट्ठी गरम करना" का प्रयोग आमतौर पर नैतिक रूप से गलत कार्यों के संदर्भ में किया जाता है। यह भ्रष्टाचार को दर्शाने वाला मुहावरा है, जो प्रशासन, न्याय प्रणाली और व्यावसायिक क्षेत्र में व्यापक रूप से देखने को मिलता है।
सामाजिक प्रभाव:
1. भ्रष्टाचार को बढ़ावा: जब लोग किसी अधिकारी या कर्मचारी की मुट्ठी गरम करके अपना काम करवाते हैं, तो इससे भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी होती जाती हैं।
2. कुशासन: सरकारी तंत्र में अगर बिना रिश्वत के काम नहीं होते, तो आम जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
3. नैतिक पतन: यह प्रवृत्ति समाज में नैतिकता के ह्रास को दर्शाती है, जहां मेहनत और ईमानदारी की जगह धन और प्रभावशाली संबंध प्राथमिकता बन जाते हैं।
4. असमानता: अमीर व्यक्ति अपनी मुट्ठी गरम करके जल्दी लाभ उठा सकता है, जबकि गरीब व्यक्ति के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती।
साहित्य, सिनेमा और लोककथाओं में संदर्भ
"मुट्ठी गरम करना" मुहावरा हिंदी साहित्य, सिनेमा और लोककथाओं में भी देखने को मिलता है।
1. साहित्य में: प्रेमचंद, हरिशंकर परसाई और अन्य समाजवादी लेखकों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी रचनाओं में इस मुहावरे का उपयोग किया है।
2. सिनेमा में: हिंदी फिल्मों में कई बार पुलिस, नेता, और सरकारी अधिकारियों की मुट्ठी गरम करने के दृश्य दिखाए गए हैं। जैसे –
"गंगाजल" (2003) में भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों को रिश्वत लेते दिखाया गया।
"शूल" (1999) में एक ईमानदार पुलिस अधिकारी को दिखाया गया, जो रिश्वत लेने से इनकार करता है।
3. लोककथाओं में: विभिन्न भारतीय लोककथाओं में भी इस प्रकार के संदर्भ मिलते हैं, जहां राजा या मंत्री की मुट्ठी गरम करके लोग अनुचित लाभ उठाते हैं।
मुहावरे का नैतिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन
"मुट्ठी गरम करना" का अर्थ जहां व्यावहारिक जीवन में लोगों के लिए काम आसान बना सकता है, वहीं यह समाज के नैतिक मूल्यों को कमजोर करता है।
नैतिक प्रभाव:
1. अवैध और अनैतिक कार्यों को बढ़ावा
2. ईमानदार लोगों के लिए समस्याएं
3. कानूनी कार्रवाई का खतरा
सरकार और समाज को मिलकर इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कड़े नियम लागू करने चाहिए।
मुहावरा "मुट्ठी गर्म करना" का वाक्य प्रयोग / Muhavara Mutthi Garam Karna Ka Vakya Prayog.
1. अधिकारी की मुट्ठी गरम करने के बाद ही मेरी फाइल आगे बढ़ी।
2. चुनाव में टिकट पाने के लिए कई उम्मीदवारों ने पार्टी नेताओं की मुट्ठी गरम की।
3. अगर तुम बैंक से जल्दी लोन पास करवाना चाहते हो, तो मैनेजर की मुट्ठी गरम करनी पड़ेगी।
4. पुलिस ने अपराधी को पकड़ तो लिया था, लेकिन उसकी मुट्ठी गरम होते ही उसे छोड़ दिया।
5. ठेकेदार ने नगर निगम के अधिकारियों की मुट्ठी गरम कर बड़ा प्रोजेक्ट हासिल कर लिया।
6. सरकारी दफ्तरों में बिना मुट्ठी गरम किए कोई काम जल्दी नहीं होता।
7. न्यायालय में कुछ वकील जजों की मुट्ठी गरम कर फैसले अपने पक्ष में करवा लेते हैं।
8. नेता जी ने चुनाव में वोटरों की मुट्ठी गरम करने के लिए मुफ्त गिफ्ट बांटे।
9. ट्रैफिक पुलिस ने गाड़ी रोकी, लेकिन ड्राइवर ने उसकी मुट्ठी गरम कर चालान से बच लिया।
10. व्यापारी ने इनकम टैक्स अधिकारी की मुट्ठी गरम करके अपना बकाया टैक्स माफ करवा लिया।
11. जब तक बाबू की मुट्ठी गरम नहीं करोगे, तुम्हारा पासपोर्ट नहीं बनेगा।
12. पत्रकारों की मुट्ठी गरम कर कई नेता अपने घोटाले छुपा लेते हैं।
13. होटल के वेटर की मुट्ठी गरम करने के बाद हमें सबसे अच्छी सीट मिल गई।
14. परीक्षा में नकल कराने के लिए कुछ छात्र अध्यापक की मुट्ठी गरम कर देते हैं।
15. किसी अधिकारी की मुट्ठी गरम किए बिना सरकारी टेंडर पाना मुश्किल होता है।
16. सीमा पर तस्करों ने सैनिकों की मुट्ठी गरम कर गैरकानूनी सामान पार करवाया।
17. पत्रकार ने सच उजागर करने की धमकी दी, तो उद्योगपति ने उसकी मुट्ठी गरम कर खबर दबा दी।
18. हवाई अड्डे पर अधिकारियों की मुट्ठी गरम कर कई यात्री प्रतिबंधित सामान ले जाते हैं।
19. रेलवे टिकट कन्फर्म करवाने के लिए दलालों की मुट्ठी गरम करनी पड़ती है।
20. स्कूल में एडमिशन के लिए कई माता-पिता ने प्रिंसिपल की मुट्ठी गरम की।
21. मेडिकल कॉलेज में सीट पाने के लिए कुछ लोग प्रशासन की मुट्ठी गरम कर देते हैं।
22. सरकारी नौकरी में पदोन्नति पाने के लिए कुछ कर्मचारी बॉस की मुट्ठी गरम करते हैं।
23. पुलिस ने केस रफा-दफा करने के लिए आरोपी की मुट्ठी गरम कर ली।
24. न्याय मिलने में देर हो रही थी, लेकिन वकील ने जज की मुट्ठी गरम कर फैसला जल्दी करवा दिया।
25. बिना मुट्ठी गरम किए अगर सरकारी काम हो जाए, तो उसे चमत्कार ही कहेंगे।
इन वाक्यों के माध्यम से "मुट्ठी गरम करना" मुहावरे का सही उपयोग समझा जा सकता है।
निष्कर्ष
"मुट्ठी गरम करना" एक नकारात्मक अर्थ वाला मुहावरा है, जो भ्रष्टाचार, अनैतिकता और सत्ता के दुरुपयोग को दर्शाता है। यह समाज में व्याप्त उन बुराइयों की ओर संकेत करता है, जो व्यवस्था को कमजोर बनाती हैं। हालांकि, यह मुहावरा हमारे समाज की कटु सच्चाई को भी दर्शाता है कि किस प्रकार लोग अपने स्वार्थ के लिए नियमों और नैतिक मूल्यों की अनदेखी करते हैं। अगर हम एक स्वच्छ और न्यायपूर्ण समाज की कल्पना करते हैं, तो हमें "मुट्ठी गरम करने" की प्रवृत्ति को समाप्त करने के लिए सक्रिय प्रयास करने होंगे।
इस प्रकार, "मुट्ठी गरम करना" न केवल एक मुहावरा है, बल्कि यह एक सामाजिक समस्या का प्रतीक भी है, जिससे हमें बचने की आवश्यकता है।
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